चंडीगढ़। सेक्टर-17 जो चंडीगढ़ का दिल कहा जाता था को डेवलप हुए 40 साल से अधिक का समय हो गया है। जो भी सरकारें आई सभी ने इस सेक्टर के सौंन्दर्यीकरण के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी क्योंकि यहां पर लोकल के अलावा दूरदराज राज्यों से घूमने व शॉपिंग करने आते हैं। अभी तक ज्यादातर ब्रैंडेड सामान की दुकानें सेक्टर-17 में ही होती थी जिस कारण बड़े-बड़े घरानों के लोग यहां आते थे। इतना ही नहीं विदेशी सैलानी भी यहां पर सैर-सपाटे व शॉपिंग करने के लिए आते हैं, जिसके चलते चंडीगढ़ के सेक्टर-17 का नाम देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध हो गया। अब जो भी चंडीगढ़ अथवा शिमला जाता वह सेक्टर-17 में शॉपिंग करने ज़रूर आता था। सैलानियों को सेक्टर-17 का साफ सुथरा वातावरण बहुत भाता था। पर्यावरण के हिसाब से भी यहां हरियाली ही हरियाली नजर आती है। यहां लोगों के बैठने के लिए बेंचें, पीने का स्वच्छ पानी, बेहतरीन लाइटिंग व्यवस्था, अच्छे रेस्टोरेंट, कॉफी हाऊस, सिनेमाघर, शॉपिंग के लिए बड़े-बड़े शोरूम लोगों का मन मोह लेते थे।
लेकिन अब सेक्टर-17 पिछले कुछ सालों से अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। जगह-जगह मलबा आदि पड़ा रहता है। सरकारी ठेकेदार जो भी निर्माण कराते हैं उसे वहीं पड़ा रहने देते हैं। प्रशासन भी इस पर कोई संज्ञान नहीं लेता है।
मल्टीलेवल पार्किंग: मल्टीलेवल पार्किंग तो बहुत अच्छी बना दी गई है किंतु थोड़ी सी कमी यह है कि यहां साइड में तारें खुली में पड़ी हैं जिनके कारण लोगों को यहां परेशानी होती है।
सड़क किनारे बनाए एंट्री बूथ: सेक्टर-17 की अन्य पार्र्किंगों को ठेके पर तो दे दिया गया मगर ये ठेकेदार यहां साफ सफाई का उचित ध्यान नहीं रखते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी तो लोगों को इससे होती है कि जब इन ठेकेदारों ने अपने एंट्री बूथ बिल्कुल सड़क के साथ ही बना लिए हैैं जिसके कारण वाहनों की लंबी लाइन सड़क पर ही लग जाती है जिससे पूरा ट्रैफिक बाधित होता है तथा यह दुर्घटनाओं का कारण भी बनता है शायद ट्रैफिक पुलिस का इस ओर कभी ध्यान नहीं गया। जबकि इनके एंट्री बूथ पार्किंग एरिया के काफी अंदर जाकर होने चाहिए ताकि इससे सड़क पर चलने वाला ट्रैफिक बाधित न हो। कई पार्किंग में जगह न होने पर लोग फुटपाथ पर ही अपने वाहन खड़े कर देते हैं जिससे वहां टाइलें टूट रही हैं।
बैंक स्क्वेयर असुरक्षित : सेक्टर-17 के बैंक स्कवेयर में हजारों लोग रोजाना पैसा निकालने व जमा करने आते हैं लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए यहां कोई पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था प्रशासन की ओर से नहीं है। यहां आने वाले कुछ लोगों का कहना है कि वे प्रतिदिन यहां बिज़्ानेस के सिलसिले में करोड़ों रुपए की ट्रांजेक्शन करने आते हैं मगर यहां की पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते उन्हें हर समय भय बना रहता है कि कहीं उनके साथ कोई अनहोनी न हो जाए। इसके अतिरिक्त यहां महिलाएं व बुजुर्ग अपने पेंशन व अन्य लेन-देन के मामले में बैंक स्कवेयर आते हैं लेकिन उनके बैठने आदि के लिए पार्किंग में कोई बेचें आदि नहीं है।
तीन साल से पड़ा बिल्डिंग का मलबा: अब से करीब तीन साल पहले यहां रीज़नल कंप्यूटर सेंटर की बिल्डिंग थी जो कि अचानक पूरी बिल्डिंग धराशायी हो गई थी जिसमें काफी नुकसान हुआ था मगर उसका मलबा आज दिन तक वहीं पड़ा है जिसको उठाने की जेहमत एमसी प्रशासन ने नहीं की। कुछ लोगों का कहना है कि क्या यह मलबा एग्जीबिशन के तौर पर रखा हुआ है।
लाइटों पर सामान बेचने वालों का तांता: सेक्टर-17 में चारों कोनों पर ट्रैफिक लाइटें हैं लेकिन इन ट्रैफिक लाइटों पर जैसे ही रेड लाइट होती है यहां फेरी से सामान बेचने वालों की वाहनों के पास भीड़ लग जाती है और वे जबरन कारों के शीशे खटखटाते रहते हैं, ऐसे में ग्रीन लाइट होने पर भी ये लोग नहीं हटते जिससे वाहन चलाने वालों को भारी परेशानी होती है तथा इससे दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। जबकि खास बात यह है कि यहां तैनात ट्रैफिक पुलिस कर्मी भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं।
फडिय़ों की एनक्रोचमेंट: सेक्टर-17 में सुबह से ही फडिय़ां लगनी शुरू हो जाती हैं तथा शाम ढलते तक सैकड़ों की तादाद में फडिय़ों का जमावड़ा बन जाता है यह सब प्रशासन की नाक तले हो रहा है। ये लोग बीच बाजार अपनी फडिय़ां लगाकर बैठ जाते हैं। वैसे कहीं अगर पत्ता भी हिलता है तो प्रशासन को खबर हो जाती है फिर चंडीगढ़ का दिल कहे जाने वाले सेक्टर-17 के बीचोंबीच फडिय़ां लगाकर बैठने वाले प्रशासन को नजर नहीं आते?