पंचकूला। सिटी ब्यूटीफुल सहित पंचकूला शहर व आसपास का क्षेत्र लगातार आवारा कुत्तों के आतंक से सहम रहा है । लाख दावों के बावजूद खुंखार आवारा कुत्तों के आतंक से न तो चंडीगढ़ नगर निगम और न ही पंचकूला नगर निगम निजात दिला पाया है और प्रशासन भी लाचार होकर रह गया है । इन आवारा कुत्तों का लोगों में खौप इस प्रकार बढऩे लगा है कि लोग खुद व अपने बच्चों को बाहर निकालने से भी डरने लगे हैं ।
पंजाब व हरियाणा तथा चंडीगढ़ में विभिन्न स्थानों पर आवारा कुत्तों के आतंक की कईं घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन इसके बावजूद भी न तो चंडीगढ़ और न ही पंचकूला प्रशासन जागा है । पंजाब के तरनतारन में हाल ही में आवारा कुत्तों द्वारा एक बच्चे को नोचकर खाने का मामला दिल दहलाने वाला रहा जिसके बाद लोगों में आवारा कुत्तों को प्रति खौफ और अधिक बढ़ गया है । यही नही पंचकूला व चंडीगढ़ में भी आवारा कुत्तों के काटने की कईं घटनाएं हो चुकी हैं । पंचकूला में सबसे ज्यादा खौफ घग्गर पार के सेक्टरों के लोगों में है। यहां आए दिन आवारा कुत्ते लोगों को अपना शिकार बना रहे है। इतना ही नहीं अपताल में भी आवारा कुत्तों को काटने से घायल हुए लोगों की उपचार कराने की लाइने लंबी हो रही है। अस्पताल के इंजेक्शन रूम में ही हर रोज लोग इंजेक्शन लगवाने आ रहे है। इनमें कुत्ते के काटने के अलावा अन्य जानवरों के काटने के भी मरीज आ रहे है। कुछ लोग चूहे के काटने के साथ पालतू जानवरों के काटने के लिए भी उपचार करवाने के लिए आ रहे है। दरअसल सामान्य अस्पताल में एंटी रेबिज का इंजेक्शन सस्ता है। जबकि बाहर यही इंजेक्शन काफी महंगा होता है। ऐसे में लोग अस्पताल में ही यह इंजेक्शन लगवाना पंसद करते है। हालांकि नगर निगम ने शहर में लावारिस कुत्तों को पकडऩे का ठेका दे रखा है। लेकिन इसके बावजूद शहर में आवारा कुत्तों की संख्या कम नहीं हो रही है। यूं तो शायद ही शहर का कोई ऐसा सेक्टर होगा जहां पर आवारा कुत्ते नहीं हो। लेकिन घग्गर पार के सेक्टरों में इन आवारा कुत्तों का सबसे ज्यादा खौफ है। दरअसल इन सेक्टरों के पास कई गांव भी लगते है। अक्सर गांव के कुत्ते भी सेक्टरों में आ जाते है। जब लोग अपने पालतू जानवरों को सैर कराने के लिए लाते है तो ऐसी सूरत में आवारा कुत्ते उनके पीछे पड़ जाते है। इसके अलावा छोटे बच्चों को भी अपना शिकार बना रहे है।
आवारा कुत्ते के काटने पर पीडि़तों को मिले मुआवजा : तरसेम गर्ग
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तरसेम गर्ग का कहना है कि अगर आवारा पशुओं व आवारा कुत्तों को लेकर नगर निगम ने कोई ठोस कदम नही उठाया तो मजबूर लोगों को सडक़ों पर आना पडेगा जिसका जिम्मा नगर निगम का होगा । उन्होंने यह भी मांग की है कि आवारा कुत्ते के काटने पर पीडित को नगर निगम की ओर से मुआवजा दिया जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि आवारा कुत्तों को पकडऩे और उनसे निजात दिलाने के काम में समाजसेवी संस्थाओं को भी नगर निगमों का सहयोग करना चाहिए । क्यों कि कई समाजसेवी संस्थाएं आवारा कुत्तों को पकडऩे वाले ठेकेदारों से उलझ जाते हैं और उनके काम में बाधा बन जाते हैं । तरसेम गर्ग ने साथ ही यह भी कहा कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशभर में स्वच्छता अभियान चलाते एक गांव व शहरों को स्वच्छ बनाने और हर घर में शौचालय बनाने की बात कही है लेकिन वहीं लोग पालतू कुत्तों को सुबह शाम बाहर घुमाने ले जाते हैं और कुत्ते सडक़ व पार्कों सहित सार्वजनिक स्थानों पर शौच कर देते हैं । ऐसे में जिन लोगों को कुत्ते पालने का शोंक हैं उन्हें कत्तों के लिए अपने घरों में शौचालय बनवाने चाहिए और सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को शौच करवाने से गुरेज करनी चाहिए ।
गत वर्ष पंचकूला के सैक्टर-7 में एक आवारा कुत्ते ने करीब दो दर्जन लोगों को काटा था जिसके बाद सैक्टर में दहशत का माहौल बन गया था । चंडीगढ़ व पंचकूला के पार्कों में भी आवारा कुत्तों का झुंड घूमते देखे जा सकते हैं जिससे सुबह शाम सैर करने वाले लोगों में खौफ बना रहता है । घग्गर पार के सेक्टरों में आए दिन दो से तीन लोग इनका शिकार बन रहे है। सेक्टर-28 अशोक कुमार का कहना है कि उनका बेटा टयूशन से वापिस लौट रहा था कि एक आवारा कुत्ते ने बेटे के पैर पर काट लिया। वहीं सामान्य अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि अस्पताल में हर रोज कई लोग विभिन्न जानवरों के काटने पर इंजेक्शन लगवाने आते हैं। लोगों का कहना है कि अगर नगर निगम आवारा कुत्तों का पकडऩे का ठेका दे रखा है तो फिर सडक़ों पर लावारिस कुत्तों की संख्या कम क्यों नहीं हो रही है। आवारा कुत्तों पर नकेल कसने के नगर निगम के दावों से भी लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। लोगों का कहना है कि नगर निगम कार्रवाई के नाम पर केवल दावे ही करता है।