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खुद की कमाई पर दिव्यांगों तथा गरीब बच्चों के कपड़ों से लेकर पढ़ाई तक का उठाते है खर्चा

हरियाणा। अपनी मेहनत और लग्न से मिसाल पैदा करने वाले शिक्षक मोहम्म्द इंतजार खुद के पैसों से चलाते है कई परिवारों का घर। मोहम्मद पेशे से शिक्षक है। शहर की कालोनी और गांवों में रहने वाले गरीब परिवारों के शिक्षा से वंचित बच्चों को शिक्षित करना हो या फिर दिव्यांग बच्चों के जीवन को संवारने की पहल के साथ मोहम्मद ने ये सावित कर दिया कि कुछ अच्छा और बेहतर करने की सोच के बल पर कोई भी आम इंसान समाज के बाकी लोगों के लिए रोल मॉडल बन सकता है। मोहम्मद का मानना है कि पैसा ही जीवन में सब कुछ नहीं होता।

मोहम्मद एक सरकारी स्कूल में JBT के कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर शिक्षक है। लेकिन उन्होंने अपनी कम कमाई में भी दूसरे गरीब बच्चों को शिक्षित करने का जो फैसला लिया वह सरहानिय है। पिछले काफी समय से मोहम्मद इंतजार अपनी कमाई से गरीब बच्चों को किताबों से लेकर खाने तक का इंतजाम खुद के पैसों से कर रहे है। ताकि वह आने वाली युवा पीढ़ी को समाज को बेहतर बनाने के लिए शिक्षित कर सकें।

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उनकी इस पहल ने उन्हें अन्य सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना दिया है। मोहम्मद ने कम पैसों में भी बच्चों की मदद करके वो कर दिखाया जो शायद पैसों वाले लोग भी नहीं कर सकते।
इसके लिए कुछ साल पहले उन्होंने जो मिशन शुरू किया था, वह अब अभियान बनने लगा है। शुरुआत में उन्हें पैसे की तंगी सहित कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, लेकिन जुनून के साथ डटे रहने पर मेहनत रंग लाई। अब इस मामले में उन्हें अन्य लोगों का साथ भी मिल रहा है।

पॉजिटिव सोच से कामयाबी जरूर मिलेगी

मोहम्मद इंतजार ने कहा कि उन्हें लगता है कि एक शिक्षक का काम समाज में बेहतर बदलाव लाने के लिए अपना योगदान देना है। हरियाणा के करनाल जिले के इंद्री कस्बे के मूल निवासी मोहम्मद इंतजार साल 2008 में शिक्षा विभाग में भर्ती हुए। स्कूल से छुट्टी के बाद उनका असल मकसद शुरू होता है। मोहम्मद बताते हैं शुरुआत में बस्ती में रहने वाले गरीब परिवारों के लोग अपने बच्चों को पढ़ने नहीं भेजते थे।

इन बच्चों के हाथों में किताबें थमाना बहुत मुश्किल था, लेकिन लगातार कोशिशों से लोगों की सोच बदलने लगी। बेहतर काम के लिए स्टेट अवॉर्ड मोहम्मद इंतजार की मेहनत को सम्मान भी मिला। कांट्रेक्ट टीचर होते हुए भी 26 जनवरी 2018 को State award और फिर टीचर्स डे पर भी विशेष सम्मान इन्हें मिल चुका है। दिव्यांग बच्चों के लिए खास साइन लैंग्वेज की वीडियो बनाकर यू-ट्यूब पर डालनी शुरू कर दी, जिसका काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। पत्नी तरनूम और बेटा भी इसमें सहयोग करते हैं।