चंडीगढ़। चंडीगढ़ की धड़कन सेक्टर-17 इस वक्त अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। धीरे-धीरे सेक्टर 17 की खत्म होती रौनक व यहां की दयनीय हालत को देखकर लगता है प्रशासन इस और गंभीरता से नही सोच रहा है। सेक्टर के चारों तरफ मलबे के ढेर दिखाई दे रहे है। जहां पर सिविल वर्क हो रहा है उसका मलबा वहीं पर टिका दिया जाता है। चारों तरफ जमीन समतल करने की बजाय ठेकेदार मलबा वहीं पर छोड़ देते हैं।
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इसके अलावा एंक्रोचेमेंट उठाने का काम पूरी तरह नहीं हुआ। पुराने वेंडर बीच-बीच में मौका देखकर अपनी फड़ी लगाते रहते हैं तथा जाने के बाद तमाम कूड़ा करकट वहीं छोड़ जाते हैं तथा अन्य लोग कूड़ा पड़ा देखकर उस पर और कूड़ा डालने लगते हैं जिससे वहां गंदगी का ढेर लग जाता है।
सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। जहां भी देखो टाइलें उखड़ी पड़ी मिल जाएंगी । पेड़ों से उखाड़ी हुई टायले बिखरी पड़ी रहती हैं और पेड़ों के इर्द-गिर्द कोई भी रिपेयर नही की गई।
बैंक स्क्वेयर की ओर पार्किंग ठेकेदारों ने एंट्रेंस बिल्कुल सड़क के साथ ही शुरू की हुई है जिसका नतीजा मेन सड़क पर ही लाइन लग जाती है जिससे ट्रैफिक जाम रहता है तथा वाहन चालक एक दूसरे से उलझते रहते हैं। और मेन सड़क पर ट्रैफिक की लंबी लाइन लग जाती है।
इसके अलावा बैंक स्क्वेयर के पास बने नए पुल के नीचे बनी मार्किट सालों से खंडहर बनी हुई है जहां पर अब असामाजिक तत्व और नशेड़ी लोग बैठे रहते हैं तथा हर समय यहां पर गंदगी से बदबू फैल रही है जिससे बीमारियों के फैलने का भय बना रहता है।
कुल मिलाकर सेक्टर-17 में जगह-जगह फुटपाथों पर बिखरे पड़े मलबे को हटवाना होगा, सड़क में बने गड्ढों को भरवाना होगा जिससे थोड़ा बहुत यहां आने वाले सैलानियों को लगे कि सेक्टर पहले की तरह खुशहाल हो रहा है। प्रशासन को सेक्टर 17 की और अतिरिक्त ध्यान देना होगा।
सेक्टर-17 डी के व्यवसायी तरसेम गर्ग का कहना है कि यहां का पार्षद भी सेक्टर की साफ सफाई पर कोई विशेष ध्यान नहीं देता। यहां की रोड गलियां पूरी तरह टूटी पड़ी हैं। बरसातों के दिनों में रोड़ गली चोक होने के कारण पार्किंग तालाब का रूप ले लेती है तथा एक-एक फुट पानी यहां खड़ा हो जाता है जिससे बरसात के मौसम में यहां से अपने व्हीकल निकालने के लिए लोगों को भारी जद्दोजहद करनी पड़ती है।
प्रशासन को चाहिए कि चंडीगढ़ का ‘दिल’ कहे जाने वाले सेक्टर-17 की ओर विशेष ध्यान दिया जाए ताकि सेक्टर का अस्तित्व पहले की तरह बना रहे।