चण्डीगढ़। चंडीगढ़ में पहली बार किन्नरों को उनका हक देने की पहल की है। प्रशासन ने पहली बार स्ट्रीट वेंडिंग बायलाॅज-2016 के तहत किन्नरों ट्रांसजेंडरों को कमाने का हक दिया है। अब ये ट्रांसजेंडर कहीं भी रोजगार न मिल पाने के कारण बधाई मांगने को मजबूर नहीं होंगे।
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पढ़े-लिखे होने के बावजूद नहीं मिलती नौकरी
देश में ऐसे कई किन्नर है जो पढ़े-लिखे है लेकिन ट्रांसजेंडर होने के कारण उन्हें रोजगार पाने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता जिस कारण मजबूरी में उन्हें घर-घर जाकर बधाई मांगने का काम करना पड़ता है ताकि पेट भरने के लिए खाना के इंतजाम कर सके लेकिन वह इस काम को करके खुश नहीं होते।
इसी के ध्यान में रखते हुए UT प्रशासन ने इन्हें अन्य लोगों की तरह इज्जत से कमाने का हक दिया। यह एक्ट सुप्रीम कोर्ट और संसद में भी पास हो चुका है, जिसके तहत रोजगार में हक दिया जाना है।
सिटी ब्यूटीफुल में पहली बार किन्हीं किन्नरों को स्ट्रीट वेंडर लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिसमें किन्नर विजेता, मोना और सृष्टि को लाइसेंस देने के लिए रजिस्टर किया जा चुका है। इन्हें स्ट्रीट वेंडर बायलॉज के तहत लाइसेंस दिया है।
मंगलमुखी ट्रांजेंडजर सोसायटी ने इसमें अहम योगदान दिया
मंगलमुखी ट्रांसजेंडर सोसायटी की तरफ से इसमें बहुत खास योगदान दिया गया है। पिछले लगभग 10 सालों से काजल मंगलमुखी चण्डीगढ़ प्रशासन से इसकी मांग कर रही थी। जिसके बाद हाईकोर्ट द्वारा इस पर किन्नरों के हक में फैसला सुनाया गया है।
इसके लिए काजल ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में भी केस दायर किया था। जिसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर संसद में बिल लाया गया था। आखिरकार अब जाकर काजल मंगलमुखी की मेहनत लाई रंग है