लम्बे समय से विवादों के कारण चर्चित अयोध्या के राम मंदिर को 5 अगस्त को भूमि पूजन होने की संभावना जताई जा रही है। इस समय अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरो पर है। राम मंदिर निर्माण की नींव में चांदी की पांच ईंटें लगाई जाएंगी। हिंदू मान्यता के मुताबिक ईंट पंच ग्रहों की प्रतीक हैं। मंदिर का डिजाइन और वास्तु प्रस्ताव के मुताबिक ही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे भूमि पूजन
5 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा राम मंदिर में भूमि पूजन किया जाएगा। जिसके लिए प्रधान मंत्री जी अयोध्या जाएंगें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर की नींव में एक मन (40 किलो) की चांदी की शिला स्थापित करने वाले हैं. भूमि पूजन के लिए पवित्र नदियों का जल और तीर्थ स्थलों की पवित्र मिट्टी लाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
क्यों डाला जा रहा है राम मंदिर में टाईम कैप्सूल?
टाइम कैप्सूल राम मंदिर में लगभग 2000 फीट की गहराई में दबाया जाएगा। इस टाइम कैप्सूल को काल पत्र भी कहा जाता है। राम मंदिर को लेकर राम भक्तों को काफी लम्बा आंदोलन करना पड़ा था। राम भक्तों को राम जन्मभूमि के इतिहास को सिद्ध करने के लिए जितनी लंबी लड़ाई सेशन कोर्ट से लेकर सर्वोच्च अदालत तक लड़नी पड़ी तब कही जाकर राम मंदिर निर्माण का काम शुरू हो पाया है।
इसीलिए ऐसी स्थिति भविष्य में फिर कभी दोबारा ना आए, इसके लिए ही टाइम कैप्सूल डालने का निर्णय लिया गया है। टाइम कैप्सूल को जमीन के इतनी नीचे दफनाने का मकसद सीधे तौर पर उस स्थान से जुड़े इतिहास को सुरक्षित रखना है जिससे हजारों सालों बाद भी अगर कोई इस मंदिर का इतिहास जानना चाहेगा तो उसे वहां मिल जाएगा।
आखिर क्या होता है ये टाइम कैप्सूल
टाइम कैप्सूल आकार में एक कंटेनर की तरह होता है, इसे मुख्य रूप से तांबे के इस्तेमाल से बनाया जाता है। टाइम कैप्सूल हर तरह के मौसम और हर तरह की परिस्थितियों में खुद को सुरक्षित रखने में सक्षम होता है। उसे जमीन के अंदर काफी गहराई में रखा जाता है। काल पत्र में जो जानकारी डाली जाएगी, उसे ताम्र पत्र पर लिखकर डाला जाएगा।
टाइम कैप्सूल के जरिए उस ऐतिहासिक स्थल या स्मारक की भविष्य में पहचान साबित करना आसान होता है। टाईम कैप्सूल जमीन गहराई में होने के बावजूद हजारों वर्षों तक सुरक्षित रहता है, लम्बे समय तक जमीन में दबे रहने के बाद भी यह सड़ता-गलता नही है।