हरियाणा के पानीपत में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। गांव रिसपुर पानीपत में एक आदमी ने अपनी 35 वर्षीय पत्नी को तकरीबन डेढ़ साल से टॉयलेट में बंद रखा। जब महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी को इसकी खबर लगी तो सोमवार को एक टीम भेज कर महिला को उसके पति की कैद से आज़ाद करवाया।
क्या है मामला
गांव रिसपुर पानीपत के रहने वाली रामरति को उसके पति नरेश ने मानसिक रोगी बताते हुए करीब डेढ़ साल से टॉयलेट में बंद कर रखा था। उसका पति उसे मारता पीटता था और खाने को भी नहीं देता था।
जब महिला संरक्षण के अधिकारी रजनी गुप्ता ने थाना पुलिस की मदद से महिला को आज़ाद करवाया तो सबसे पहले उसने रोटी मांगी। महिला की हालत दयनीय थी। वह सही ढंग से कड़ी भी नहीं हो पा रही थी। टीम ने उसे बाहर निकाले की कोशिश की तो वह उठ भी नहीं पा रही थी। उसके पुरे शरीर से मल-मूत्र से बदबू आ रही थी। अधिकारी ने नहलाकर दूसरे कपड़े पहनाए तो महिला ने चूड़ियां और लिपिस्टक मांगी। थाना सनौली पुलिस ने पति के खिलाफ धारा 498 ए, 342 के तहत मामला दर्ज कर, उसे गिरफ्तार कर लिया है। रामरती को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया है। मानसिक स्थिति के विषय में मेडिकल रिपोर्ट से ही जानकारी मिलेगी।
पति ने कहा मानसिक रूप से थी बीमार
पति नरेश ने दवा किया की उसकी पत्नी मानसिक रूप से परेशान है, तीन साल से उसका इलाज चल रहा था। करीब 10 साल पहले रामरति के पिता और भाई की मौत हो गई थी, तभी से मानसिक रूप से बीमार रहती है। कहीं चली न जाए किसी को नुकसान न पहुंचा दे, इसलिए टायलेट में बंदकर रखता था। अधिकारी द्वारा आस-पास पूछ ताछ करने करने पर कई लोगों ने बताया कि नरेश उसे टायलेट में बंद करके रखता है। कभी कभी मारपीट की आवाजें आती थी। हालांकि, पड़ोसियों ने लिखित बयान देने से इनकार कर दिया।
बच्चो ने नहीं किया विरोध
अधिकारी ने बताया कि महिला की 17 साल पहले शादी हुई थी। उसकी 15 वर्षीय बेटी है। एक बेटा 11 और दूसरा 13 साल का है। हैरानी की बात यह है कि पिता उनके सामने मां को पीटता था। भूखा- प्यासा टॉयलेट में बंद रखा था लेकिन उन्होंने कभी विरोध नहीं किया। न कभी किसी से शिकायत की। रामरति के तीनों बच्चों से भी पूछताछ की तो बताया कि मां बीमार रहती है। रजनी गुप्ता ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को भी अवगत करा दिया है ताकि बच्चों की काउंसलिंग हो सके।