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जनता की सेहत के साथ खेलते दिख रहे वेंडर्स

  • क्वालिटी के नाम पर लोगों की हैल्थ के साथ खिलवाड़
  • पैसा या इंसानियत, इस पर उठा सवाल ?

अपने प्राडक्ट को प्रीमियम बनाने के लिए फलों और सब्जियों पर स्टीकर चिपकाना व्यापारियों द्वारा आम बात है। ज्यादातर स्टीकर को सीधे फलों और सब्जियों पर लगाया जाता है जैसे की सेब, कीवी, आम, संतरा, नाशपती, केला और इसके अलावा कुछ और अन्य फल सब्जियंा भीं शामिल है।

इन स्टीकरों को चिपकाने के लिए अलग अलग तरह के चीजों का उपयोग किया जाता है जोकि हेल्थ के लिए काफी नुक्सानदायक साबित हो सकते है। इसका अंदाजा होने के बावजूद वेंडर्स स्टीकर्स का इस्तेमाल करते नजऱ आ रहें है। इन स्टीकरों को लगाने का एक ही मकसद माना जाता हैं कि यह फ्रुट हाई क्वालिटी का हैं जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होता हैं।

क्वालिटी के नाम पर लोगों की जान के साथ खेला जा रहा है

फलों और सब्जियों की क्वालिटी दिखाने के लिए उनपर स्टीकर के नाम पर लोगों की जान ली जाती हैं । यह स्टीकर ना केवल हानिकारक रसायन का बना हो सकते है बल्कि हेल्थ को भी काफी नुकसान पहुचाता है। इस तरह के जांच के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारी की एक टीम,यू.टी. चंडीगढ़ ने शुक्रवार को सेक्टर -26 में फलों और सब्जियोंं के वेडर्स को जागरूक किया गया।

उन्होंनें वेर्डस से स्टीकर लगाने की मनाहीं की। विभाग द्वारा लगभग 30 नोटिस जारी किए गए। उन्होंनें विक्रेताओं से अनुरोध किया कि वह इसके उपयोग बिलकुल ना करे बल्कि इसके लिए कोई और तरीका ढूंढे। सुरक्षा अधिकारियों ने सुझाव दिया की स्टीकरों को फल सब्जी पर लगाने की वजाए प्लास्टिक नॉन बायोडिग्रेडबल प्लास्टिक बैग्स या डब्बों के ऊपर लगाएं। ऐसा करने से फल अच्छे दिखाई देगें और हैल्थ को नुक्सान भी नहीं होगा।