- सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह का आज शहीदी दिवस
सिखों के नौवें गुरु श्री तेग बहादुर जी का आज 400वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपने प्राणों का त्याग किया पर सत्य के मार्ग को नहीं छोड़ा और मानवता की रक्षा के लिए कुर्बानी दी। गुरु तेग बहादुर जी के त्याग और बलिदान के लिए उन्हें हिंद दी चादर भी कहा जाता है। पंजाब के अमृतसर में जन्में गुरु तेग बहादुर सिंह के पिता का नाम गुरु हरगोविंद सिंह था। गुरु तेग बहादुर 24 नवंबर, 1675 को शहीद हुए थे। वहीं कुछ इतिहासकारों के मुताबिक वह 11 नवंबर को शहीद हुए थे।
आइए जानते हैं उनके बलिदान के बारे में
कश्मीरी पंडितों के लिए लिया लोहा। औरंगजेब, कश्मीरी पंडितों को जबरन मुसलमान बनाने पर तुला हुआ था। कश्मीरी पंडित इसका विरोध कर रहे थे और इसके लिए उन्होंने गुरु तेग बहादुर की मदद ली। इस कदम से औरंगजेब गुस्से से भर गया, वहीं गुरु जी तीन शिष्यों के साथ मिलकर आनंदपुर से दिल्ली के लिए निकल पड़े। इतिहासकारों का मानना है कि मुगल बादशाह ने उन्हें गिरफ्तार करवा कर तीन-चार महीने तक कैद करके रखा और पिजड़े में बंद करके उन्हें सल्तनत की राजधानी दिल्ली लाया गया।
औरंगजेब के आगे नहीं झुके गुरु तेग बहादुर जी
गुरु तेग बहादुर जी औरंगजेब के सामने झुके नहींं। इसका नतीजा यह हुआ की उनका सिर कलम करवा दिया गया। औरंगजेब ने उन्हें जबरन मुस्लिम धर्म अपनाने को कहा लेकिन उन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। आपको बता दें कि दिल्ली का शीशंगज गुरुद्वारा वही जगह है जहां औरंगजेब ने लालकिले के प्राचीर पर बैठ कर उनका सिर कलम करवाया था। अपनी शहादत से पहले ही गुरु तेग बहादुर जी ने 8 जुलाई, 1675 को गुरु गोविंद सिंह जी को सिखों का 10वां गुरु घोषित कर दिया था।