- लावारिस पशु की चपेट में आने से युवक की मौत, आखिर कब जागेगा प्रशासन
पंचकूला में लावारिस पशुओं (stray cows in panchkula) के कारण वाहन चलाना व चलना भी मुश्किल हो गया। अभी तक कई लोग रोज लावारिस पशुओं की चपेट में आकर हादसे का शिकार बन चुके है।
ऐसे ही एक सडक़ हादसा ने घर के चिराग को छीन लिया। हादसा शनिवार को पंचकूला-यमुनानगर हाईवे पर हुआ है। शनिवार रात को हुए हादसे में सेक्टर-12 निवासी युवक की जान चली गई है।
नाडा साहिब गुरुद्वारे (Nada Sahib Gurudwara) के पास यह हादसा उस समय हुआ जब एक्टिवा पर आ रहे तीन युवकों के सामने एक लावारिस गाय आ गई। जिसे बचाने के चलते एक्टिवा डिवाइडर में जा टकराया और तीनों युवक घायल हो गए। आसपास के लोगों ने घायलों को सेक्टर छह के जनरल अस्पताल में दाखिल करवाया जिसमें सेक्टर-12 के रहने वाले अवीक (Avik) की इलाज के दौरान मौत हो गई। जबकि दो युवकों को रेफर किया गया। हादसे के वक्त अवीक एक्टिवा चला रहा था जबकि उसके दो साथी पीछे बैठे थे। मृतक के सिर में चोट लगी थी। 19 साल का अवीक सेक्टर-12 के मकान नंबर 608 का रहने वाला है। अभी डीएवी कॉलेज में स्टडी कर रहा था। घटना के दिन वह अपने दोस्तों के साथ रामगढ़ किसी से मिलने के लिए गया था।
जहां इन जानवरों से रोड पर चलने वाले वाहनों के लिए परेशानी है। तो वहीं दूसरी ओर राहगीरों के लिए भी इनसे हर समय खतरा बना रहता है। अकसर यह जानवर आपस में लड़ते हुए आसपास जाने वालों को भी घायल कर देते है। इसके अलावा शहर में आबादी में भी इन जानवरों के झुंड गलियों में या फिर खाली प्लाटों में बैठे देखे जा सकते है जबकि प्रशासन मौन बैठकर किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है। शहर में कई गऊशालाएं बनी हुई हैं लेकिन उनकी अपनी ही अलग समस्याएं हैं।
पिंजौर-कालका (Pinjore-Kalka) क्षेत्र में आधा दर्जन गऊशालाएं
पिंजौर-कालका क्षेत्र में करीब आधा दर्जन गऊशालाएं है। इसके बावजूद भी लावारिस पशु सडक़ों में घूम रही है। इसके अलावा विराटनगर आश्रम, गरीड़ा, मढ़ावाला, रामनगर खोली में भी गऊशालाएं है। लावारिस पशुओं से लोगों को हर समय खतरा रहता है।
हालांकि इनकी चपेट में आने से अकसर लोग घायल भी हो रहे है। रात के समय आबादी के अदंर खाली प्लाटों में लावारिस पशु देखे जा सकते है। वहीं पर उनके द्वारा गोबर करके गंदगी फैलाई जा रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि कई लावारिस पशु ऐसे है जिनके कानों में गऊशाला का टैग भी लगा हुआ है। इससे यह लगता है कि वो गऊशाला से आबादी में लावारिस घुम रही है।
गौशाला संचालकों की समस्याएं
उधर पिंजौंर के गौशाला संचालकों के मुताबिक उनके पास जरूरत से ज्यादा पशु रखे हुए है। प्रशासन लावारिस पशुओं को यहां लाकर छोड़ देता है लेकिन इन पर आने वाले खर्चे के लिए जितनी मदद चाहिए है वो नहीं मिल पाती। इस समय सिर्फ गऊ माता में आस्था रखने वाले श्रद्धालु ही गऊशालाओं को दान दें रहें हैं।