- अब कोर्ट के कहने पर देगें कलयुगी बेटे बाप को गुजारा भत्ता
शहरों में बुजुर्गों के घर से बेघर होकर निकालने की खबरें तो हम रोज सुनते हैं । लेकिन हरियाणा में अंबाला के गांव में 14 एकड़ जमीन के 78 वर्षीय मालिक अपने पांच पांच बेटों के भरे पुरे परिवार होने के बावजूद भी आज पाई-पाई को मोहताज हैं। वे अपनों से ही भरण-पोषण की कानूनी लड़ाई लड़ाई को मजबूर हो गए। उन्होंने कोर्ट में याचिका लगाई।
जिसमें उन्हें आदेश हुए कि पांचों बेटे अपने पिता को 2-2 हजार रु. महीना देंगे। जिसके बाद 4 बेटों ने फैसले के खिलाफ अपीलेट ट्रिब्यूनल में याचिका लगाई। वहां तर्क दिया कि पिता ने 5वें बेटे व उसके 2 बच्चों (पौत्र) को उनसे ढाई गुना ज्यादा जमीन दी है। अब वही खर्च उठाएं। लेकिन अपीलेट ट्रिब्यूनल ने फैसला नहीं बदला।
अपीलेट ट्रिब्यूनल ने 8 जनवरी 2021 को अपील खारिज कर दी थी। फिर चारों बेटों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अर्जी लगाई है, जिसमें भावनात्मक के साथ तकनीकी आधार पर चुनौती दी गई है। हरियाणा माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण रूल्स 2009 के रूल 12 के अनुसार मामले को मध्यस्थता अफसर के पास भेजा नहीं गया।
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार, ट्रिब्यूनल और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर 24 मार्च तक जवाब मांगा है।
बुजुर्ग ने क्या बताई अपनी मजबूरी
गांव फतेहपुर के बंता राम ने अर्जी लगाई थी। जिसमें उन्होंने कहा कि वे वृद्धावस्था में काम नहीं कर पाते हैं। 5 बेटे खर्चा-पानी नहीं देते। पीटने की धमकी देते हैं। जिस पर एसडीएम डॉ. वैशाली शर्मा ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पांचों बेटों को 2-2 हजार रु. महीना पिता के खाते में जमा कराने के आदेश दिए थे।