- पंजाब सरकार Siswan Dam को सुखना लेक की तरह करेगी डेवेलप
न्यू चंडीगढ़ में बने सिसवां डेम को पंजाब सरकार वल्र्ड लेवल पर पसंदीदा ईको टूरिज्म सेंटर के तौर पर विकसित करने की प्लानिंग कर रही हैं जिसके लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब सिविल सचिवालय, चंडीगढ़ में बकायदा घोषणा भी की हैं।
जंगल सफारी की मिलेगी सुविधाएं
उन्होंने बताया कि सिसवां को चंडीगढ़ की सुखना लेक की तर्ज पर विकसित करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। इस क्षेत्र में विशाल पर्यटन क्षमता को ध्यान में रखते हुए यहां विभिन्न पहलकदमियां की गई हैं। मुख्य तौर पर नेचर इंटरप्रीटेशन सेंटर, थिमेटिक गेट्स और संकेतक चिह्न, फूड कोर्ट, वॉशरूम की सुविधा, नेचर ट्रेल, जंगल सफारी जैसी पर्यटन सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
जंगली जानवरों को मिलेगी पनाह
वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जैसे धब्बेदार हिरण, जंगली खरगोश और अन्य प्रजातियों की जान-पहचान कर ली गई है जो कभी इस क्षेत्र में ज्यादा थे और समय बीतने के साथ-साथ इनकी संख्या में कमी आई है, यह ध्यान में रखते हुए यहां इनकी तादात बढ़ाने पर काम किया जाएगा। इस मौके पर उन्होंने इसका ब्रोशर, पैंफलेट, लोगो और फिल्म के टीजर समेत विभिन्न प्रचार और सूचना सामग्री भी जारी की। इसके साथ ही उन्होंने सिसवां कम्युनिटी रिजर्व का लोगो भी लांच किया।
टूरिस्ट फैसिलिटी का होगा ध्यान
मुख्यमंत्री ने कहा कि सैलानियों को बुनियादी ढांचे और सुविधाओं पर प्रचार की गतिविधियां बढ़ाने से यहां पर आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ेगी। इसके साथ ही यहां पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और सरकार की आमदनी की अलग-अलग गतिविधियों के साथ स्थानीय लोगों को भी फायदा पहुंचेगा।
‘रैटरोस्पैक्ट’ मेला लगेगा
उन्होंने Punjab Bird Festival के सफल आयोजन की भी सराहना की, जिसको देश के अलग-अलग हिस्सों से भी भरपूर प्रतिक्रया मिली है। इसके साथ ही उन्होंने ‘रैटरोस्पैक्ट’ नामक मेले से संबंधित योजना और इस पर काम करने के लिए भी कहा।
यहां मिली थी सबसे प्राचीन सभ्यता
आप को बता दें कि शिवालिक पहाडियों की तलछठी में बसे सिसवां के अधीन क्षेत्रों में घने जंगल, शुद्ध पानी और भरपूर हरियाली मौजूद है। यह सब प्राकृतिक प्रेमियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनती है। इस क्षेत्र का अपना ही एक अलग इतिहास है और जैविक रिकार्ड अनुसार यहां सोनेनियन सभ्यता की मौजूदगी दर्ज की गई हैं। यह क्षेत्र कभी भारत को मध्य एशियाई देशों और पूर्वी यूरोप के साथ जोडऩे वाले पुराने व्यापारिक मार्ग का हिस्सा रहा है।