कहने को तो चंडीगढ़ सिटी की सेक्टर 17, 22 और 35 में स्मार्ट पार्किंग (Smart Parking) बनाई गई है। इंट्री प्वाईंट पर पेमेंट देकर जब हम गाड़ी लेकर पार्किंग में आते है तो अकसर हम व्हीकल पार्क करने के लिए जगह ढूढ़ते हैं। एक ई-टिकटिंग मशीन (E-Ticketing Machine) जो सिर्फ आपको इलेक्ट्रॉनिक पार्किंग पर्ची निकाल कर देते है। हाई टैक चंडीगढ़ सिटी की पार्किंग को Smart Parking नहीं बनाती। ना तो अब तक कोई ऐसा एप्प (MObile App)बनाया है जो पार्किग में हेल्प करें।
तो ऐसे में प्रशासन को सोचना चाहिए की स्मार्ट पार्किग (Smart Parking) के लिए क्या क्या जनता को क्या स्पेशल सुविधाएं दी जाएं।
जबकि यहां की स्मार्ट पार्किंग में हमारे रिस्क और जोखिमों (Risk ) की कोई गिणती नहीं हैं। पार्किंग ठेकेदार को सिर्फ अपने 10 रूपए ही जरूरी है। गाड़ी के किसी पार्ट्स (Parts )को कोई डेमेज करे दें उसके लिए तो कोई जिम्मेदारी नहीं है।
1. इंट्री करते समय सिर्फ पेमेंट लेने के बाद सिर्फ ई-टिकटिंग (E-Ticketing Machine) मिलती हैं। गाड़ी पार्क हम अपने रिस्क और जोखिम पर करते हैं।
2. पार्किग लगवाने के लिए कोई अटेंडेंट Attendant नहीं दिखता। यहां कहीं दिल आया लोग अपनी गाडिय़ां बेतरतीव खड़ी कर देते हैं।
3. कायदे से पार्किंग में 50 मीटर की दूरी पर एक पार्किंग अटेंडेंट Attendant होना चाहिए जो आपको गाईड करने में मदद करता हैं। तीनों सेक्टरों में किसी भी पार्किंग में ऐसा नहीं है।
4. छाया (Shadow Area) वाली जगहों पर गाड़ी या दोपहिया वाहन पार्क करने को लेकर एक-दूसरे से लड़ते उलझते लोग दिखते हैं।
5. खुले पैसों को लेकर इंट्री प्वाईंट पर जमावड़ा लगा रहता हैं जिससे पीछे मेन रोड़ (Main Road)जाम हो जाता हैं। हार्न बजाकर एक दूसरे से भिड़ते दिखते हैं।
6. पार्किंग में बेतरतीब से गाडिय़ा और दोपहिया वाहन पार्क होते हैं जिससे अंदर और बाहर जाने में दिक्कत होती हैं।
7. पार्किं ग अटेंडेंट का ड्रैस कोड़ तक नहीं दिया गया है। जिससे अटेंडेंट Attendant का पता नहीं चलता।