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बाबा अमरनाथ गुफा में बना 22 फुट ऊंचा हिमलिंग, यात्रा को लेकर अभी भी शंका

कोरोनावायरस संकट को देखते हुए लगातार दूसरे साल भी अमरनाथ यात्रा शुरू होने पर अभी भी संदेह बना हुआ है। यहां के हिमलिंग के दर्शनों की खातिर 28 जून को यात्रा आरंभ होनी है पर कोरोना की दूसरी लहर के कारण प्रशासन ने कोई फैसला नहीं लिया है। आपको बता दे कि इस बार अमरनाथ की पवित्र गुफा में 20 से 22 फुट ऊंचा हिमलिंग प्रकट हुए हैं।


ग्लोबल वार्मिंग की आशंका के चलते यह माना जा रहा था कि हिमलिंग का आकार कम हो सकता है, लेकिन 14500 फुट की ऊंचाई पर बाबा बर्फानी माता पार्वती और पुत्र गणेश के साथ अपने पुराने रूप में मौजूद हैं। जहां एक तरफ कश्मीर के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, वहीं इस साल भी बाबा के द्वार तक पहुंचने के लिए भक्तों को काफी वक्त लग जाता है।

बाबा के भवन तक जाने वाले बालटाल के रास्ते में अभी भी तकरीबन 20 फुट के करीब बर्फ जमा है। जहां एक ओर खून जमा देने वाली ठंड पड़ रही है। सरकारी तौर पर 2019 के दर्शन के लिए गुफा तक अभी भक्त नहीं पहुंच पाए हैं। गुफा तक सिर्फ पुलिस की एक टुकड़ी ही गई थी, जिसने वहां का जायजा लिया है।

कुछेक पुलिसकर्मियों ने हिमलिंग की फोटो भी ली है और यह पाया है कि पिछले साल हिमलिंग की सुरक्षा की खातिर जो प्रबंध किए गए थे, वे पहले जैसे हैं। हालांकि कुछ श्रद्धालुओं द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि वे लॉकडाउन के बावजूद गुफा तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं।
आप को बता दें कि अमरनाथ की पवित्र गुफा में इस बार 20 से 22 फुट ऊंचा हिमलिंग प्रकट हुआ है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस संबंध में कुछ नहीं कहा गया।

पिछले साल अमरनाथ यात्रा कोरोना की भेंट चढ़ गयी थी। कोरोना की दूसरी लहर के कारण उपजी परिस्थितियों के चलते जम्मू-कश्मीर प्रशासन अमरनाथ यात्रा करवाने पर फिलहाल असमंजस में है। इसके लिए कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, पर सब कोरोना की रफ्तार पर निर्भर है।

यात्रा से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि सबसे ज्यादा खतरा अनंतनाग जिले में बढ़ते कोरोना केस हैं। अनंतनाग जम्मू-कश्मीर में सबसे अधिक कोरोना मरीजों के साथ टॉप पर है। प्रशासन यहां कोई ढील देने को तैयार नहीं है।

इसी जिले में अमरनाथ गुफा है और इसी से होकर श्रद्धालुओं को यात्रा करनी है। एक अधिकारी के अनुसार, प्रशासन को अन्य प्रस्ताव भी दिए जा रहे हैं। एक प्रस्ताव में यात्रा अवधि 15 दिन करने और बालटाल मार्ग का इस्तेमाल करने का भी है। अन्य प्रस्ताव है कि सिर्फ हेलिकॉप्टर से यात्रा की अनुमति दी जाये।

समस्या यह है कि किसी भी प्रस्ताव को अंजाम तक पहुंचाने के लिए व्यवस्थाएं होना लाजिमी हैं, लेकिन इस बार की यात्रा के लिए किसी भी व्यवस्था को अभी तक हकीकत में नहीं बदला जा सकता है। प्रशासन का कहना है कि अधिकारियों, कर्मचारियों से लेकर सुरक्षाकर्मी तक कोरोना संबंधी ड्यूटियों में व्यस्त हैं।