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चंडीगढ़ के बिजनेसमैंन ने महामारी में खोए दो जवान बेटे, चुकाया 30 लाख का बिल

कोरोना वायरस की दूसरी लहर कई परिवारों पर कहर बनकर टुटी है। जिसमें कई जवान बेटों की जिंदगियों को पिताओं ने खोते हुए देखा है। किसी का जवान बेटा तो किसी का भाई किसी का पति तो किसी का पिता इस बीमारी ने निगला है। चंडीगढ़ सेक्टर 17 के मशहूर बिजनेसमैन जेपीएस कालरा ने भी अपने जवान दो बेटों को इस महामारी में खोया है।

इंडियन एक्सप्रैस -न्यूजपेपर की रिपोर्ट अनुसार कालरा परिवार ने 5 मार्च को अपना जन्मदिन बड़े जोरोशोरों से मनाया था। बकायदा परिवार ने एक साथ मिलकर केक काट कर सेलीब्रेट किया। लेकिन ठीक दो महीने के बाद वही पिता एक के बाद एक कर अपने दोनों बेटों का अंतिम संस्कार करके आएं। बस यहीं से उनकी पुरी दुनिया उजड़ गई। हॉस्पिटल ने बेटों की मौत पर दुख तो जताया पर बदले में सौंप दिया 30 लाख रुपये का बिल,जो उनके खोए हुए बेटों के इलाज के दौरान खर्च का था।

73 साल के कालरा ने बताया कि सारा परिवार अप्रैल में कोरोना की चपेट में आया था, वे खुद, उनकी पत्नी, बेटा हरपाल, उसकी पत्नी और बच्चों, बेटा सरबजीत और उसकी पत्नी और दोनों बच्चे भी वायरस की चपेट में आ गए थे। जबकि पत्नी, अन्य दो महिलाओं और चार बच्चों को घर में ही आइसोलेट कर दिया गया था,जबकि कालरा, बेटा हरपाल और सरबजीत को अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा था।

6 मई को जेपीएस कालरा ठीक हो कर घर वापस लौट आए और परिवार में आशा की एक किरण जागी थी कि जल्द ही पूरा परिवार ठीक होकर घर लौट आऐगा। लेकिन नियती को कुछ ओर ही मंजूर था। 9 मई को डॉक्टर ने बताया कि बेटे हरपाल को बचाया न जा सका। अभी हम पहले बेटे की मौत की खबर से सुन्न थे कि दूसरे बेटे की खबर आई कि वह भी मौत से जुझ रहा है। उसकी बॉडी के पार्ट्स ने काम करना बंद दिया है। पहले तो उसकी रिपोर्ट ठीक आई थी लेकिन एकदम से डॉक्टरो ने सीरियस होने की खबर से हम उसे बचाने के लिए दूसरे हॉस्पिटल में बैड का इंतजाम करने लगे। लेकिन महामारी के दौरान हमें बैड तक नहीं मिला और 22 मई को भी सरबजीत की मौत हो गई।

मैंने अपने दोनों बेटों – हरपाल (44) और सरबजीत सिंह (41) को खो दिया – चौदह दिनों के भीतर जब वे ठीक होने लगे थे । हरपाल के परिवार में दो बेटियां और एक पत्नी है, जबकि सरबजीत के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है। हरपाल और सरबजीत ने एसडी कॉलेज सेक्टर 32 चंडीगढ़ से ग्रेजुएशन की थी। हरपाल के पास प्रिंटिंग और स्टेशनरी का काम है, जबकि सरबजीत अपने पिता की सेक्टर 17 की कपड़ों की दुकान में मदद करता था।

कालरा ने बताया की मुझे लगता है कि अब सरकार ने महामारी पर कंट्रोल कर लिया है। यह एक चुनौती का समय है और प्राइवेट हॉस्पिटल बीमारी में मौके का फायदा उठा रहे हैं। उन्हें ठीक से यह तक पता नहीं है कि क्या करना है और सिर्फ इंजेक्शन के लिए मासूम मरीजों से पैसे वसूल कर रहे हैं, जिसका हमें पता भी नहीं है कि इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं।

ज्ञान सागर हॉस्पिटल ने मुझे 9 लाख रुपये (मेरे और हरपाल के ट्रीटमेंट के लिए) का बिल दिया, जबकि मेयो हॉस्पिटल ने मुझे 21 लाख रुपये का बिल दिया। ये प्राइवेट हॉस्पिटल सिर्फ हालात का फायदा उठा रहे हैं।

ज्ञान सागर हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने कम से कम हरपाल के लिए अपनी पूरी कोशिश की, मेयो अस्पताल ने मेरे बेटे सरबजीत के इलाज में कौताही बरती है।

जेपीएस कालरा ने अपील की है कि मैं सभी लोगों से विनती करता हूं कि आप सभी सावधानियों का पालन करें। मैं नहीं चाहता कि मेरी तरह कोई ओर अपने जवान बेटों को मौत का ग्रास बनते हुए देखें। जो मैंने इस महामारी में खोया है वह किसी और के साथ ना हो।