केंद्रीय कृषि कानून निरस्त होने के बाद सरकार से हुए समझौते के तहत किसानों ने चाहे आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया है परंतु टोल प्लाजा पर किसान अभी भी काबिज हैं। हालांकि टोल प्लाजा से हटने के लिए 11 दिसंबर को आने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के निर्देशों का इंतजार है परंतु अंबाला चंडीगढ़ हाईवे पर दप्पर टोल प्लाजा पर करीब 14 महीने बाद टोल वसूली की तैयारियां जोरों पर हैं। राहगीरों के लिए न केवल टोल से छूट की राहत खत्म होने जा रही है बल्कि कैश टोल भुगतान भी खत्म हो रहा है। सौ परसेंट भुगतान फास्ट टैग से मंजूर होगा। इतना ही नहीं, टोल दरों में भी मामूली इजाफा किया गया है। दूसरी ओर, किसान धरने हटने पर राहगीरों को मिल रही टोल रुपी राहत अब खत्म हो जाएगी और उन्हें अब फिर से फास्ट टैग रिचार्ज कराने का खर्च उठाना पड़ेगा।
दप्पर टोल प्लाजा पर टोल वसूली पिछले साल 12 अक्टूबर को 11:30 बजे आंदोलनकारी किसानों ने बंद करा कर यही धरना जमा लिया था जो 14 महीनों बाद आज भी जारी है। 12 लेन टोल प्लाजा पर बीच के छह लेन पर धरनाकारी किसान काबिज हैं। किसानों के टेंट, ट्रैक्टर ट्रालियां, पोस्टर बैनर, कुर्सियां, पानी की टंकियां से लेकर बिस्तर तक टोल प्लाजा पर मौजूद हैं। सरकारी से समझौते पर सहमति के बाद आंदोलनकारी किसानों का जत्था वीरवार को दिल्ली रवाना हुआ है और वापसी 11 दिसंबर तक होगी। टोल से हटने के स्पष्ट निर्देश तब आने की संभावना है। इसी के चलते नैशनल हाइवेज ने टोल वसूली की तैयारियों के टोल संचालक कंपनियों को निर्देश भी जारी कर दिए हैं।
दप्पर में टोल रुपी 84 करोड़ रु का नुकसान, 35 फीसदी नौकरियां गईं
करीब सवा साल से जारी इस धरने में टोल प्लाजा पर दो तिहाई से अधिक कर्मियों की नौकरियां चली गईं। दप्पर टोल प्लाजा पर 65 टोल संचालक कर्मियों के अलावा 31 मार्शल तैनात थे। आंदोलन लंबा होने पर इन लोगों को इनकी तादाद में कटौती करनी पड़ी। ज्यादातर को ट्रांसफर कर दिया गया जिनमें 50% से अधिक कर्मियों ने नई जगह जाइन नहीं किया। दिसंबर से फरवरी 2021 के बीच 96 कर्मियों का स्टाफ घटकर महज 30 का रह गया। अब 11 दिसंबर तक कर्मियों की पुरानी तादाद कायम की जा रही है। यहां रोजाना गुजरनेन वाले करीब 30,000 पैसेंजर कार यूनिट से करीब दो लाख रुपए औसतन टोल इकट्ठा होता रहा है। यानी महीने के 6 करोड़ और 14 महीनों के 84 करोड़ रुपए का नुकसान टोल संचालक कंपनियों को भुगतना पड़ा है। हालांकि टोल कंपनी ने 12 अक्टूबर से 31 मार्च 2021 तक एक वित्त वर्ष में हुए टोल नुकसान का मुआवजा क्लेम किया है जो 30 करोड़ के आसपास है परंतु हाईवेज ने अभी सिर्फ 20 फीसदी मुआवजे का ही भुगतान किया है।
टोल वसूली 100 परसेंट फास्टटैग से, नो कैश लेन
करीब 14 महीना बाद शुरू होने वाली टोल वसूली में अब काफी कुछ नया है जहां टोल की दरें बढ़ा दी गई हैं, वहीं अब टोल कलेक्शन पूरी तरह फास्टैग के जरिए होगी। कैश में कोई टोल नहीं वसूला जाएगा। नेशनल हाईवेज अथॉरिटी के निर्देश और भी कड़े हैं। इसमें कहा गया है कि फास्ट टैग ई वॉलेट में रिचार्ज न होने पर वाहनों से डबल टोल वसूला जाए। इसके अलावा जिनके पास फास्ट टैग सुविधा नहीं है, उनसे भी टोल डबल वसूला जाए। हालांकि इन कड़े निर्देशों के बावजूद दप्पर में टोल प्रबंधकों ने अपनी और से रिचार्ज कराने और नए फास्टैग बनवाने के लिए एक हफ्ते तक की ढ़ील देने का फैसला किया है। जीएमआर के सीआरओ दीपक अरोड़ा के अनुसार पहले दोनों तरफ एक-एक लाइन पर कैश वसूली होती थी परंतु अब कैश की कोई लेन नहीं होगी। वैसे भी टोल बंद होने से पहले फास्ट टैग यूजर्स का आंकड़ा 80 फ़ीसदी तक पहुंच चुका था। अब चूंकि उन्हें दोबारा से रिचार्ज कराने होंगे और बाकी लोगों को नए फास्टैग भी जारी करने हैं, इसलिए एक हफ्ते का रियायती समय दिया जाएगा। केवल बस ट्रक के अपडाउन पर पांच रुपए और उनसे बड़े वाहनों पर पांच रुपए का टोल बढ़ाया गया है जबकि कार, लाइट व्हीकल्स की टोल दरें पुरानी ही हैं।
करोड़ों के घाटे के बावजूद हाइवे मेंटीनेंस बरकरार रखी: जीएमआर
हर महीने 6 करोड़ रुपए के नुकसान के बावजूद अंबाला चंडीगढ़ की केयरटेकर जीएमआर का दावा है कि उन्होंने हाइवे की मेंटीनेंस से कोई समझौता नहीं किया ताकि राहगीरों को असुविधा न हो।। बल्कि 35 किलोमीटर हाईवे पर नई एलईडी लाइटें लगाई गईं। हर महीने करीब 20 लाख रुपए का बिजली बिल, सड़कों की मरम्मत, बागवानी, सिविल वर्क, स्टाफ सैलेरी समेत कंपनी एक से सवा करोड रुपए मासिक खर्च निर्विध्न करती आ रही है। अब टोल वसूली के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। एनालॉग कैमरों की जगह हाई रेसोलूशन वाले आईपी कैमरे लगाए गए हैं। साथ की कंम्यूटर सिस्टम को भी अपग्रेड किया गया है।