चण्डीगढ़। शहर में बंदरों की संख्या बढ़ने पर शहरवासी दिव्यम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिनमें दिव्यम ने शहर में बढ़ रही बंदरों की संख्या को परेशानी बताया। याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि हिमाचल की तरह चण्डीगढ़ में भी बंदरों को हिंसक जानवर घोषित कर दिया जाना चाहिए।
क्योंकि शहर में बढ़ रही बंदरों की संख्या के कारण शहरवासियों को काफी परेशानी हो रही है। बंदर सड़कों, पार्को व लोगों के घरों में घुुस जाते है। कई बार तो ये बंदर रास्ते पर चल रहे लोगों का खाने का सामान छीन कर भाग जाते है। शहर में इस समय बंदरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि बच्चों को पार्क में खेलने के लिए भेजने में भी डर लगता है। लोेगों को खुद को घरों में बंद रखना पड़ता है।
जिस पर टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी जानवर की आबादी बढ़ रही है तो उसे कंट्रोल करने के लिए उन बेकसूर जानवरों को मारना समाधान नहीं है। क्योंकि निगम ने बताया कि लोगों द्वारा बंदरों को खाना व फल देने के कारण ही वह बंदर ज्यादा आने शुरू हुए है और खाना न मिल पाने पर बंदर आतंक मचा रहे हैं।
निगम से जवाब तलब किया तो उन्होंने कोर्ट को बताया कि निगम ने वन विभाग के साथ मिलकर ज्वाइंट टास्क फोर्स बनाई है । बंदरों के आतंक से निपटने के लिए 24 घंटे सात दिन की हेल्पलाइन के लिए दो अतिरिक्त अटेंडेंट नियुक्त किए गए हैं जो 30 मिनट के भीतर शिकायत का निवारण करेंगे। विशेष पिंजरे बंदरों को पकडऩे के लिए लाए गए हैं और कई बंदर पकड़ कर सुखना वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में छोड़े गए हैं।
हाईकोर्ट ने बंदरों को मारने पर साफ इंकार करते हुए प्रशासन को जल्द से जल्द इन बंदरों के आंतक पर एक्शन लेने को कहा है। साथ ही बंदरों की नसबंदी कराने जैसे सुझावों पर ध्यान देने को कहा है।
हाईकोर्ट ने टीम द्वारा आतंक फैला रहे बंदरों को पकड़ने और उन्हें रिहायशी इलाकों से दूर छोड़ने को कहा साथ ही इन छोड़े गए बंदरों की स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा।