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संतोष गर्ग की पुस्तक ‘लघुता कुछ कहती है’ का विमोचन

कोरोना काल है तो क्या हुआ फिर भी कलम अपने धर्म को निभाना नहीं भूलती। राष्ट्रभाषा हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत राष्ट्रीय संवेदनाओं को समर्पित एस एस फाउंडेशन द्वारा संचालित मनांजलि मंच ने संतोष गर्ग की पुस्तक ‘लघुता कुछ कहती है’ लघुकथा संग्रह का विमोचन किया।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से सेवानिवृत्त प्रोफेसर व अध्यक्ष डॉक्टर एस एल गर्ग ने अपने निवास स्थान पर इस लघुकथा संग्रह का विमोचन करते हुए कहा कि 95 लघुकथाओं के इस संग्रह में सकारात्मक सोच की ऐसी लघुकथाएं हैं जो परिवार, समाज व नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होंगी।

इस अवसर पर उपस्थित अनेक पुस्तकों के संपादक व लेखक श्री एम एल अरोड़ा ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा कि ‘लघुता कुछ कहती है’ इस संग्रह की प्रस्तुत लघुकथाओं में समाज का वास्तविक चित्रण हुआ है। इन लघुकथाओं में ऐसे पात्रों को चुना गया है जिनसे हमारी रोज़ मुलाकात होती है जैसे:- सास बहू, माता-पिता, बेटा- बेटी, कामवाली, सब्जी वाला, मालिक- किराएदार, गुरु शिष्य। यह संग्रह सिर्फ संदेशवाहक ही नहीं बल्कि पाठकों के लिए एक मार्गदर्शक पुस्तक है। श्रीमती गर्ग ने लघु को लघुता कहकर कथा को सूक्ष्म रूप दिया है जो कि आज के दौर में जरूरी भी है। इस संग्रह में गुरु ने कहा, काव्य संग्रह, छोटी सी बात, समझ नहीं आती, जज की विनम्रता व क्रोध आदि ऐसी लघुकथाएं हैं जो पाठक को सोचने पर मजबूर कर देती हैं। लेखिका की सूक्ष्म दृष्टि, सरल एवं स्वस्थ शैली, सकारात्मकता सराहनीय है।

पिछले 32 वर्षों से निरंतर समाज व साहित्य सेवा को समर्पित कवयित्री व लघु कथाकार श्रीमती गर्ग की विभिन्न विधाओं पर 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं व कोरोना काल पर एक और पुस्तक अगले महीने जल्द ही आने वाली है।
मंच द्वारा आयोजित आज इस विमोचन समारोह में कैंसर सर्जन डाक्टर विजय बंसल, कवयित्री डॉक्टर सुनैना, डाक्टर नितिन, डाक्टर संचिता गर्ग व श्रीमती नीलम अरोड़ा के साथ-साथ नन्हीं कवयित्रियाँ मान्या, रम्या व प्रिशा भी उपस्थित थीं।
इस संगोष्ठी में काव्य पाठ व गीत संगीत की मधुर वर्षा भी हुई फिर भी लेखिका श्रीमती गर्ग को अफसोस था कि कोरोना काल के कारण वह अपने रचनाकार साथियों को भागीदार नहीं बना पाई।