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पंचकूला में कोरोना मामले कम आने का कारण सैंप्लिंग में कमी होना

15 दिनों में  76 % गिरी कोरोना टैस्टिंग की दरें

पंचकूला में अक्टूबर महीने की शुरूआत से ही कोरोना के नए मामलों की संख्या काफी कम हो गई है। जिससे लोगों मे अब कोरोना का असर कम होने कि उम्मीद जाग गई है लेकिन कोरोना के नए मामलों में अचानक से कमी आ जाने का कारण कोरोना का प्रभाव कम होना नहीं बल्कि अस्पतालों द्वारा कोरोना की सैंप्लिंग कम करना है।

पिछले कुछ दिनों के आंकड़े के हिसाब से अब पंचकूला में कोरोना मेडिकल टीम द्वारा प्रतिदिन सिर्फ 800 से 1200 कोरोना सैम्पल ही लिए है। जबकि सिंतबर महीने में एक दिन में 5000 से अधिक सैंपल भी लिए गए थे।

मेडिकल स्टाफ द्वारा इस तरह कोरोना सैम्पल लेने में ढील करना एक बार फिर से पंचकूला में कोरोना के खतरे को बढ़ा सकता है। यदि पिछले महीने में आखिरी दिनों तक के आंकड़े को देखा जाएगा तो हर रोज पंचकूला से बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित पाए जा रहे थे। फिर अक्टूबर महीने की शुरूआत होते ही अचानक से संक्रमितों की संख्या में इतनी कमी कैसे आ सकती है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए क्योंकि पंचकूला में बेशक पिछले कुछ दिनों में कोरोना के नए मामलों की संख्या में कमी आई हो लेकिन कोरोना के कारण मृत्यु दर बढ़ रही है।

पंचकूला में प्रतिदिन 2 या इससे अधिक लोगों की मौत हो रही है। स्वास्थ्य विभाग को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।  यदि बीते कुछ दिनों को देखे तो 26 सिंतबर को 870 रैपिड एंटिजन सैम्पल लिए गए। जिसके बाद 27 सिंतबर को कुल 868 सैम्पल लिए गए। 28 सिंतबर को 109 सैम्पल लिए गए। 29 सितंबर को 1163 सैम्पल लिए गए। 30 सितंबर को 870 सैम्पल लिए गए। इसके बाद 2 अक्टूबर 242 सैम्पल लिए गए। 3 अक्टूबर को 1120 सैम्पल लिए गए। 4 अक्टूबर को 275 सैम्पल लिए गए। 5 अक्टूबर को 919 सैम्पल लिए गए।

Note: Picture is just for representative purpose.