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चंडीगढ़ का हेरिटेज ‘कमेटी टेबल’ लंदन में ₹71.57 लाख का बिका

चंडीगढ़ असेंबली के लिए ली कार्बूजिए और पियरे जेनरे द्वारा 1963-1964 डिजाइन किया गया कमेटी टेबल जिसकी रिज़र्व प्राइज 34.44 लाख राखी गयी थी 71.57 लाख रुपये में बिका। 14 अक्तूबर लंदन के बोनहम्स नीलामी घर में चंडीगढ़ के हेरिटेज फर्नीचरों की नीलामी की गयी। जिसे लंदन में इंडियन एम्बेसी और पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद भी नीलामी को नहीं रोका जा सका। नीलामी में चंडीगढ़ के 10 हेरिटेज फर्नीचरों को 2.11 करोड़ रुपये में बेच दिया गया।

नीलामी में बिकने वाले फर्नीचर

  1. हाईकोर्ट चेयर्स 6.9 से 8.61 लाख 9 लाख
  2. लो चेयर्स (हाईकोर्ट और पीयू) 17.22 लाख 33.44 लाख
  3. कमेटी टेबल (असेंबली) 34.44 लाख 71.57 लाख
  4. आठ आर्म्स चेयर (यूटी सचिवालय) 12.92 से 17.22 लाख 28.66 लाख
  5. वकील और प्रेस आर्म्स चेयर (हाईकोर्ट) 12.92 से 17.22 लाख 19.13 लाख
  6. जूनियर ऑफिसर के लिए राइटिंग टेबल 12.92 लाख 16.74 लाख
  7. पियरे जेनरे बेंच 6.9 से 10.35 लाख 7.21 लाख
  8. जेनरे पब्लिक बेंच (हाईकोर्ट) 7.21 लाख 9.59 लाख
  9. पियरे जेनरे इजी आर्म्स चेयर 3.44 से 5.17 लाख 11.38 लाख
  10. पियरे जेनरे फोल्डिंग स्क्रीन 3.44 से 5.17 लाख 4.58 लाख

तमाम कोशिशों के बाद भी हुई फर्नीचर की नीलामी

हेरिटेज प्रोटेक्शन सेल के सदस्य और वकील अजय जग्गा और लंदन में इंडियन एम्बेसी के काफी प्रयासों के बाद भी चंडीगढ़ हेरिटेज फर्नीचर की नीलामी की गयी। हालांकि स्थानीय पुलिस मामले की जांच कर रही है। अजय जग्गा ने इसे गैर क़ानूनी बताते हुए कहा था कि, शहर की विरासत को विदेश में ले जाकर बेचा जा रहा है। जग्गा ने इस नीलामी की जानकारी विदेश मंत्री एस. जयशंकर, लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग, चंडीगढ़ प्रशासन समेत अन्य को दी थी। जग्गा की शिकायत पर भारतीय उच्चायोग के प्रथम सचिव (ट्रेड) राहुल नागरे तुरंत सक्रिय हुए और इस नीलामी से जुड़ी सभी जानकारियां मांगी। साथ ही जल्द कार्रवाई का भरोसा भी दिया। इसके बाद लंदन स्थित इंडियन एम्बेसी ने स्थानीय पुलिस को जांच का जिम्मा सौंपा।

विदेश में ले जाकर करोड़ों में बिक रहा हेरिटेज फर्नीचर

चंडीगढ़ हेरिटेज फर्नीचर को विदेशो में ले जाकर करोड़ों रुपए में बेचा जा रहा है। हेरिटेज प्रोटेक्शन सेल के सदस्य और वकील अजय जग्गा ने 9 जुलाई 2018 को तुगलकाबाद से ब्राजील भेजे जा रहे हेरिटेज फर्नीचर की तस्करी की भी जानकारी भारतीय उच्चायोग को दी थी। वहीं, प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने भी जग्गा को हर तरह की सहायता देने की बात कही है। हालांकि चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारी अभी तक यह पता नहीं लगा पाए हैं कि हेरिटेज फर्नीचर विदेश तक कब और कैसे पहुंचा है। कौन लोग हैं, जो चंडीगढ़ के फर्नीचर को विदेश में ले जाकर करोड़ों में बेच रहे हैं। जग्गा की तरफ से कहा गया है कि पुलिस नीलामी घर से सभी फर्नीचरों की खरीदारी के दस्तावेज मांगे ताकि सच्चाई सामने आए।