नवरात्री के व्रत में सबसे ज्यादा कुट्टू का आटा खाया जाता है। कुट्टू के आटे से पूडिय़ां, पराठे, पकौड़े, चीला बनाकर खाया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि व्रत में कुट्टू का आटा ही क्यों खाया जाता है और यह किससे बनता है? आइए, आपको बताते हैं इसकी कुछ खास बातें
अनाज न होने की वजह से व्रत में खाया जाता है यह आटा
कुट्टू को अंग्रेजी में Buckwheat कहा जाता है, लेकिन इसका किसी तरह के अनाज से कोई संबंध नहीं है क्योंकि गेहूं, अनाज और घास प्रजाति का पौधा है जबकि कुट्टू बकव्हीट का लैटिन नाम फैगोपाइरम एस्कलूलेंट है और यह पोलीगोनेसिएइ परिवार का पौधा है। बकव्हीट पौधे से प्राप्त फल तिकोने आकार का होता है।
पीसकर जो आटा तैयार किया जाता है, उसे बकव्हीट यानी कुट्टू का आटा कहा जाता है। बकव्हीट का पौधा ज्यादा बड़ा नहीं होता है। इसके गुच्छों में फूल और फल आते हैं। भारत में यह बहुत कम जगहों पर उगाया जाता है। हिमालय के हिस्सों जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड और दक्षिण के नीलगिरी में जबकि नॉर्थ ईस्ट स्टेट में उगाया जाता है। भारत में इसका प्रयोग व्रत के दौरान खायी जाने वाली चीजों में ही होता है।
पोषण की खान हैं कुट्टू का आटा
वैसे तो कुट्टू का आटा प्रोटीन से भरपूर होता है। इसमें मैग्नीशियम, विटामिन-बी, आयरन, कैल्शियम, फॉलेट, जिंक, कॉपर, मैग्नीज और फासफोरस भरपूर मात्रा में होता है। इसमें फाइटोन्यूट्रिएंट रूटीन भी होता है जो कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर को कम करता है। सेलियक रोग से पीडि़तों को भी इसे खाने की सलाह दी जाती है।
मिलावटी आटे से रहें सावधान
अभी हाल ही के दिनों से कुट्टू के मिलावटी आटे को खाने की हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान और अन्य राज्यों से मिलावटी आटे के खाने से बीमार होने की खबरें भी छप रही है। पंचकूला समाचार आपको अगाह करता हैं कि ऐसी शॉप से आटा ना खरीदें जो मिलावटी सामान बेचता हो।