Home » Others » दिवाली पर पटाखे कम चले तो असर सीधा हमारी सांसों पर

दिवाली पर पटाखे कम चले तो असर सीधा हमारी सांसों पर

  • एक तरफ दिवाली पर पटाखें कम बिकने पर ट्रेडर्स परेशान दूसरी ओर साफ रहेंगा वातावरण

दिवाली पर कम पटाखे चलने के आसार बने हुए हैं। जिससे शहर की मौसम पहले की तुलना में ज्यादा अच्छा रहेगा। गौर हो कि चंडीगढ़ में दिवाली पर पटाखे के स्टॉल लगाने का 3 नवंबर को ड्रॉ निकला जाएगा। यह जानकारी चंडीगढ़ एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से एक अधिकारी ने जारी की है। उन्होंने बताया कि 3 नवंबर तक अप्लाई फॉर्मों की स्क्रूटनी के बाद फाईनल नामों की लिस्ट जारी कर दी जाएगी।

गौर हो कि पिछले साल दिवाली पर चंडीगढ़ में पटाखे बेचने के लिए 96 लाईसेंस के लिए लगभग 1900 लोगों ने आवेदन किया था। पिछले साल पंचकूला सिटी में 55 और मोहाली सिटी में 14 लाईसेंस जारी करने के लिए ड्रॉ निकाला गया था। अकेले चंडीगढ़ सिटी में तकरीबन 7 करोड़ रूपए के पटाखों का बिजनेस डील किया जाता है।

लेकिन इस बार क्रेकर्स डीलर एसोसिएशन की मानें तो कोरोना को देखते हुए ट्राईसिटी में शॉपकीपर्स भी स्टॉल लगाने का कम रिस्क ले रहे हैं। वजह भी साफ है कि लॉकडाउन के दौरान पटाखे बनाने वाली फैक्टरियां भी बंद रही। जिससे प्रॉडक्शन भी कम हुई तो वहीं डीलर्स ने भी दशहरे पर फीकी रौनक को देखते हुए पटाखे मंगाने के आर्डर कम कर दिए हैं।

अगर ट्राईसिटी में कम पटाखें चलेगें तो इसका असर इनवायरमेंट पर सीधा पड़ेगा यानि की हर साल की तरह इस बार दिवाली के बाद तीन दिन तक धुएं का गुब्बार नहीं होगा और मौसम पहले की तुलना से कुछ ज्यादा बेहतर होगा।

कुराली शहर में डीलर एसोसिएशन के मैंबर ने बताया कि पिछले 52 सालों से पटाखों के बिजनेस में ऐसी मंदी नहीं देखने को मिल रही है। स्मॉल ट्रेडर्स का तो पटाखें बेचने का बिजनस लगभग चौपट नजर आ रहा हैं। जबकि हर साल कुराली शहर में स्मॉल ट्रेडर्स 7 से 9 करोड़ रुपए तक के पटाखों का बिजनेस करते हैं। जिससे मोरिंडा, मोहाली, चंड़ीगढ़, पंचकूला, रोपड़, फतेहगढ़ साहिब, बस्सी पठाना, खरड़, नवांशहर, सरहिंद ओर हिमाचल प्रदेश के साथ लगते इलाकों में शॉपकीपर्स पटाखें खरीद कर बेचते हैं।

वहीं देश की राजधानी दिल्ली में इस बार दिवाली पर सिर्फ ग्रीन पटाखों की परमिशन मिली है और अन्य पटाखे बनाने, बेचने और जलाने वालों पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का दिल्ली सरकार ने आदेश जारी किया है ।