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भारत में पारंपरिक चिकित्सा केंद्र स्थापित करने के फैसले का आचार्य मनीष ने किया स्वागत

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा भारत में पारंपरिक चिकित्सा का वैश्विक केंद्र स्थापित करने संबंधी ताजा घोषणा और सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) द्वारा आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी में प्रशिक्षित करने और कई तरह के ऑपरेशन करने की अनुमति देने के निर्णय का स्वागत करते हुए, प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ, आचार्य मनीष ने कहा, ‘कोविड युग ने भारत के प्राचीन जड़ी-बूटी आधारित औषधीय विज्ञान – आयुर्वेद के महत्व को न केवल भारत, बल्कि विश्व में भी महत्वपूर्ण बना दिया है। कोविड समेत विभिन्न रोगों पर आयुर्वेदिक औषधियों के असर को देखते हुए, डब्ल्यूएचओ ने भारत में पारंपरिक चिकित्सा का एक केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। मैं सीसीआईएम के इस निर्णय को भी क्रांतिकारी मानता हूं, जिसके तहत आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी में प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें कुछ तरह के ऑपरेशन करने की अनुमति दी गयी है। ‘

आचार्य मनीष ने ‘शुद्धि आयुर्वेद ‘ की शुरुआत की है, जिसका मुख्यालय ट्राइसिटी में है। शुद्धि आयुर्वेद के तहत भली-भांति शोध करने के बाद और आयुष अनुमोदित आयुर्वेदिक औषधियां तैयार की जाती हैं। आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने के लिए आचार्य मनीष ने पूरे भारत में शुद्धि के 150 से अधिक केंद्र खोले हैं।

आचार्य मनीष ने आगे कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री मोदी को आयुर्वेद के प्रचार हेतु उनके विजन के लिए बधाई देता हूं। पीएम मोदी ने हाल ही में अपने एक भाषण में आयुर्वेद के महत्व को रेखांकित किया था। उन्होंने आयुर्वेद के पारंपरिक ज्ञान को नयी जरूरतों के हिसाब से विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और देश के अनुसंधान संस्थानों को ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए कहा जो अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप हों। ‘

आचार्य मनीष ने आगे कहा, ‘नवीनतम घटनाक्रम को देखते हुए अब समय है कि सरकार आयुर्वेद को एक पसंदीदा उपचार प्रोटोकॉल बनाने के लिए एक समग्र, अखिल भारतीय रणनीति को बढ़ावा दे। आयुर्वेद उपचार प्रोटोकॉल किसी भी अन्य चिकित्सा प्रणाली के बराबर होना चाहिए। आयुर्वेदिक चिकित्सकों को योग्य डॉक्टरों के रूप में लिया जाना चाहिए, जबकि फिलहाल ऐसा है नहीं। हालांकि उन्हें एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने वाले किसी छात्र की तुलना में स्नातक डिग्री प्राप्त करने के लिए अधिक अध्ययन करना होता है। इस स्थिति को सुधारने की आवश्यकता है। ‘

यहां यह बताना उचित होगा कि देर से ही सही, पर आयुर्वेद के पक्ष में कई चीजें हुई हैं और आचार्य मनीष ने जो कहा है, सब कुछ उसके अनुसार ही हो रहा है। आयुर्वेद के दो बहुत महत्वपूर्ण संस्थान – इंस्टीट्यूट ऑफ टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेदा (आईटीआरए), जामनगर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा (एनआईए), जयपुर राष्ट्र को समर्पित किये गये हैं।

आचार्य मनीष ने आशा व्यक्त करते हुए कहा, ‘कोविड युग में लोगों को आयुर्वेद से लाभ हो रहा है, जिसका समर्थन स्वयं प्रधानमंत्री ने किया है, और अब समय आ गया है जब आयुर्वेद को भारत की एक पसंदीदा औषधीय प्रणाली के रूप में लिया जाना चाहिए। ‘