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सावधान! अगर आप दूसरी बार कोरोना पॉजिटिव आये तो दो-गुना होगा वायरस का असर

  • ध्यान दे ! अगर आप कोरोना से ठीक हो चुके है तो इसका मतलब यह नहीं की आप कोरोना मुक्त हो चुके है
  • किस वजह से बार-बार कोरोना के शिकार हो रहे हैं लोग, जानें सही इलाज 

हरियाणा में पंचकूला के रहने वाले राकेश सिन्हा को सिंतबर में पता चला कि वो कोविड पॉजिटिव हैं। उनके लक्षण गंभीर थे इसलिए उन्हें इलाज के लिए एक अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। कई दिनों के इलाज के बाद वो पूरी तरह ठीक हो गए। इसके बाद भी उन्हें जल्दी थकान, कमज़ोरी, साँस फूलने और पुरी नींद ना आने जैसे समस्याएँ रहने लगीं।

41 साल के राकेश सिन्हा बताते हैं, मुझे कऱीब सात दिनों तक वेंटिलेटर पर रहना पड़ा था, इसके बाद मेरी रिपोर्ट निगेटिव आ गई और दो दिन बाद मुझे डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन, इसके बाद भी मुझे थकान और कमज़ोरी महसूस होने लगी और चक्कर आने लगे। पेशे से इंजीनियर राकेश सिन्हा का फ़ोर्टिस अस्पताल में इलाज चल रहा है और अब वो पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं।

कोरोना का दूसरी बार संक्रमण क्या ज़्यादा ख़तरनाक?

कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद भी कई लोग बीमार पड़ रहे हैं। उनमें साँस लेने में परेशानी, चक्कर आना, थकान, हल्का बुख़ार, जोड़ों में दर्द और उदासी जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं। इसे मेडिकल टर्म में पोस्ट कोविड सिम्पटम भी कहा जाता है।

हाल ही में होम मिनीस्टर अमित शाह की कोविड-19 रिपोर्ट निगेटिव आने के तीन दिनों बाद उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था, उन्हें चक्कर आने और बदन में दर्द रहने की शिकायत थी। डॉक्टरों के मुताबिक़ ऐसे कई मरीज़ सामने आ रहे हैं, जिनमें कोरोना वायरस की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी लक्षण बने हुए हैं और उन्हें इलाज की ज़रूरत पड़ रही है।

पोस्ट कोविड लक्षण क्या हैं?
मैक्स अस्पताल, वैशाली में पल्मनॉलॉजी के प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉ. शरद जोशी कहते हैं, कोविड-19 से ठीक होने के बाद हमारे पास कई मरीज़ आ रहे हैं, उन्हें थकान, साँस लेने में परेशानी, चक्कर आना और बेहोशी जैसे समस्याएँ हो रही है। जिस मरीज़ में कोविड का संक्रमण जितना अधिक होता है, उतने ज़्यादा लक्षण उसमें ठीक होने के बाद देखने को मिलते हैं, हालांकि, कोविड के हल्के-फुल्के संक्रमण वाले लोगों को भी बाद में कमज़ोरी महसूस हो रही है। कुछ मरीज़ ऐसे हैं, जिनके एक्सरे में अच्छा सुधार दिखता है लेकिन पल्मनरी फ़ंक्शन टेस्ट करने पर पता चलता है कि उनके फेफड़ों की कार्यक्षमता में 50 प्रतिशत तक की कमी आई है।

पल्मोनरी फ़ाइब्रोसिस

डॉ. शरद जोशी बताते हैं, जिन लोगों में कोविड-19 के संक्रमण के कारण एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) हो जाता है यानी फेफड़े ठीक से काम नहीं करते, उनमें पल्मनरी फ़ाइब्रोसिस की समस्या हो सकती है। पल्मनरी फ़ाइब्रोसिस में फेफड़ों की ऑक्सीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे मरीज़ों को सांस फूलने की परेशानी लंबे समय तक रह सकती है. ज़्यादा गंभीर स्थिति में घर में ऑक्सीजन भी लेनी पड़ सकती है।

डॉक्टर कहते हैं कि पल्मनरी फ़ाइब्रोसिस में बहुत अच्छी प्रतिक्रिया नहीं है। दूसरे वायरस जैसे सार्स या एच1एन1 में ठीक होने के बाद भी पल्मनरी फ़ाइब्रोसिस होना इतना सामान्य और विस्तृत नहीं था. कोविड-19 में ऐसे दोगुने मामले मिल रहे हैं।

इसके अलावा कोरोना वायरस ठीक होने के बाद मरीज़ के न्यूरो सिस्टम पर भी असर पड़ता है। फ़ोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में न्यूरोलॉजी के प्रमुख डॉ. प्रवीण गुप्ता कहते हैं, कोविड-19 से ठीक होने के बाद नसों में लकवा हो सकता है, कभी-कभी ये दिमाग़ पर भी असर करता है, जिससे याददाश्त प्रभावित होती है। कोविड में आइसोलेशन के बाद घबराहट हो सकती है. इसे पोस्ट डिजीज़ स्ट्रेस डिसऑर्डर कहते हैं। जिन मरीज़ों में दिमाग़ में सूजन या फेफड़ों की गंभीर समस्या होती है उनमें बाद में ज़्यादा लक्षण देखने को मिलते हैं वरना कमज़ोरी और चक्कर आना सबसे सामान्य लक्षण हैं।

इसके कारण को लेकर डॉ. शरद जोशी ने बताया, वायरस से लडऩे के लिए शरीर में बने एंटीजन इम्यून सिस्टम में इस तरह के बदलाव कर देते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम अति प्रतिक्रिया करने लगता है. इसी कारण बुख़ार, बदन दर्द और अन्य समस्याएँ होने लगती हैं. शरीर में इनफ्लेमेट्री रिएक्शन होने लगता है जो पूरे शरीर पर प्रभाव डालता है. ऐसे में वायरस ख़त्म होने के बाद भी इनफ्लेमेट्री सेल्स और केमिकल बने रहते हैं. इम्यून सिस्टम की इस प्रतिक्रिया के कारण ही लक्षण बने रहते हैं।

वो कहते हैं, जैसे चिकनगुनिया में 8 से 10 दिन बुख़ार रहने के बाद ठीक हो जाता है लेकिन, उसके कई मरीज़ों को जोड़ों में दर्द और शरीर में दर्द कई महीनों तक रहता है. कई मरीज़ों को गठिया की बीमारी भी हो जाती है। लेकिन, कुछ मामलों को छोड़ दें तो ये लक्षण हमेशा के लिए धीरे-धीरे ठीक भी हो जाते हैं। डॉक्टर प्रवीण गुप्ता बताते हैं कि शरीर की प्रकृति होती है धीरे-धीरे मरम्मत करना. इसलिए कुछ समस्याएँ बेहोशी और चक्कर आना धीरे-धीरे अपनेआप ठीक हो सकते हैं. लेकिन, कमज़ोरी, सांस लेने में दिक्कत या लकवे आदि की स्थिति में दवा की ज़रूरत होती है। कोरोना वायरस ठीक होने के बाद के लक्षण ठीक होने में हफ़्तों से लेकर दो से छह महीने भी लग सकते हैं।

कोरोना से ठीक होने के बाद बरतें ये सावधानियाँ

कोरोना वायरस ठीक होने जाने के बाद किसी व्यक्ति में 30 से 40 दिनों तक एंटीबॉडी बनी रहती है. ऐसे में उसके कोरोना से संक्रमित होने का ख़तरा बहुत कम हो जाता है. फिर भी डॉक्टर पूरी तरह सावधानियाँ बरतने की सलाह देते हैं। डॉक्टर शरद जोशी का कहना है कि आपका शरीर एक वायरस से लडक़र जीता है। आपके इम्यून सिस्टम पर पहले से ही दबाव था। ऐसे में अपने खाने-पीने का ध्यान रखें। मास्क, हाइजीन और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर सावधानियाँ बरतें. ऐसा ना करने पर हो सकता है कि आपको कोई और इंफेक्शन हो जाए और पहले से कमज़ोर शरीर पर उसका गंभीर असर हो जाए। अगर कोविड ठीक होने के बाद कोई भी समस्या हो रही है, तो डॉक्टर को अवश्य दिखाएँ।