सत्या देवी को जब 49 साल बाद पता चला कि सैनिक पति अभी जिंदा है, रिहाई की आस
सैनिक परिवार की कुछ ऐसी कहानियां है जो हमें रूला देती हैं। जालंधर के डरौली खुर्द की रहने वाली 75 साल की सत्या देवी के संघर्ष की कहानी आम महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गई है। उनके पति मंगल सिंह को 1971 में पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। उस वक्त मंगल की उम्र सिर्फ 27 साल थी। सत्या की गोद में दो बेटे थे। एक 3 और दूसरा 2 साल का था। तभी से सत्या ने पति के इंतजार में चार दशक गुजार दिए। उनके बेटे दलजीत ने बताया कि पिता कोट लखपत जेल में बंद हैं, तब मैं सिर्फ तीन साल का था। सितंबर 2012 में समाचार पत्र में एक खबर छपी कि पाकिस्तान की जेल में 83 सैनिक बंद हैं और इनमें मंगल सिंह भी एक हैं। इसके बाद सत्या देवी ने सरकार को पत्र लिखने का सिलसिला शुरू किया और अब दिसंबर 2020 में इन कोशिशों का जवाब मिला है।
अकेली ने किया बच्चों का पालन
सत्या ने बच्चों को पालने-पोसने के साथ पति के इंतजार की उम्मीद नहीं छोड़ी। भारत सरकार को कई लेटर्स भेजने के करीब 8 साल बाद उनकी कोशिशें रंग लाईं। अब 49 साल बाद राष्ट्रपति के ऑफिस से भेजे लेटर ने सत्या को उनके पति के जिंदा होने की जानकारी दी गई है। जिसमें लिखा गया है कि मंगल को पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में हैं। पाक सरकार से बातचीत कर उनकी रिहाई की कोशिश की जाएगी।
पिता को याद कर बेटे रोएं
सत्या और उनके दो बेटे पिछले 49 साल से मंगल को देखने की राह देख रहे थे। पिता को याद करते उनके बेटे रिटायर्ड फौजी दलजीत सिंह ने मीडिया से बातचीत की तो उनकी आंखों से आंसू छलक गए।
उन्होंने बताया, ‘सन1971 में रांची में लांस नायक के पद पर उनके पिता को कोलकाता ट्रांसफर कर दिया गया था और बांग्लादेश के मोर्चे पर ड्यूटी लगा दी गई थी। 1971 में एक दिन टेलीग्राम से पता चला कि बांग्लादेश में सैनिकों को ले जा रही एक नाव डूब गई और उसमें सवार उसके पिता मंगल सिंह समेत सारे सैनिक मारे गए हैं। फिर 1972 में रावलपिंडी रेडियो पर मंगल सिंह ने संदेश दिया कि वह ठीक हैं। उसके बाद से अब तक उनकी वापसी की राह देख रहे थे। उस समय हमने रिहाई के लिए जोर लगाया मगर कोई सहायता नहीं मिली ।’
पत्नी को रिहाई की थी उम्मीद
मगर सत्या देवी के दृढ़ निश्चय ने मंगल सिंह को भारत वापस आने की रोशनी दिखाई दी। सत्यादेवी ने बताया कि इससे पहले कई सरकारें गई और कई आईं, लेकिन मदद नहीं मिली। कहा अब जाकर उम्मीद बंधी है कि पति की रिहाई होगी।