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PGI की लापरवाही से डैड बॉडी बदली, पुत्र ने मांगी कानूनी राय

PGI के जूनियर कर्मियों की लापरवाही से एक परिवार की जिंदगी बदल कर रख दी है। परिवार गहरे सदमे में है जिससे PGI की इमेज खराब हो रही है। कारण है न सिर्फ लाश बदलना, बल्कि अपनों के होते हुए PGI का लावारिसों की तरह संस्कार तक करवा देना। जबकि PGI अपने पर लगे आरोपों पर पर्दा डालने पर लगा हुआ है।

परिवार व पुलिस ने मांगी कानूनी राय

खैर अब पुलिस की जांच में सब सामने आ चुका है, जिसके बाद अब PGI के कर्मियों के खिलाफ पुलिस केस दर्ज करना चाह रही है। जिसके लिए एसएसपी ऑफिस फाइल भेज कर कानूनी राय ली जा रही है, कि PGI की इस लापरवाही पर क्या क्रिमिनल कार्रवाई की जा सकती है।

पुलिस ने जांच के बाद पाया कि PGI के दो जूनियर टैक्नीशियन, मॉर्चरी इंचार्ज की लापरवाही से सारा मामला हुआ और अब उन पर केस दर्ज करने की तैयारी है।

पुलिस जांच में पता चला कि PGI के रिकॉर्ड के मुताबिक भोला सिंह का संस्कार 17 अक्टूबर की शाम को रेडक्रास के कर्मियों ने कर भी दिया है। फिर पता चला कि भोला सिंह समझकर हरजिंदर के पिता बलविंदर सिंह का संस्कार कर दिया गया है। जिसके बाद हरजिंदर ने इसकी शिकायत PGI को दी। PGI ने मामले पर पर्दा डाले रखा। जिसके बाद हरजिंदर ने इसकी जांच पुलिस को दी।

मॉर्चरी इंचार्ज की लापरवाही से हुआ यह सब

हरजिंदर ने बताया कि मेरे पिता का संस्कार तक करने का अधिकार मुझे नहीं दिया। मुझे कई दिन झूठ बोलते रहे कि पिता का शव मिसिंग है। फिर लापरवाही करके उनके पिता का शव बदलवा दिया और लावारिस समझ कर उसका संस्कार भी करवा दिया। इस पर मैंने पुलिस को शिकायत दी है। -:हरजिंदर सिंह, मृतक का बेटा

जानें आखिर क्या है सारा माजरा

मामला 17 अक्टूबर का है। शहर में कोविड पीक पर था और हर किसी में दहशत थी। बताया गया कि उसी दिन पटियाला के बख्शीवाला मोहल्ला निवासी हरजिंदर सिंह अपने 65 साल के पिता बलविंदर सिंह को दिल का दौरा पडऩे से PGI लेकर आया। PGI इमरजेंसी से उन्हें कार्डियोलॉजी विभाग में शिफ्ट कर दिया गया। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

बलविंदर सिंह का शव देने से PGI ने इनकार कर दिया और कहा कि पहले शव का कोरोना टेस्ट किया जाएगा, अगर टेस्ट नेगेटिव होगा, तभी शव परिजनों को सौंपा जाएगा। अगले दिन 18 को PGI से फोन आया कि शव का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया है, इसलिए अब आप शव घर ले जा सकते हैं।

जब PGI की मॉर्चरी से शव ले जाने लगे, तो शव पूरी तरह पैक था। हरजिंदर ने अपने पिता का चेहरा देखना चाहा, तो पता चला कि लाश उसके पिता की नहीं बल्कि किसी भोला सिंह की थी। जो कोरोना पेशेंट था। इसके बाद उन्होंने अपने पिता की लाश मांगनी चाही। मॉर्चरी में तब 17 शव पड़े थे। सबकी चेकिंग की, लेकिन उनके पिता का शव नहीं मिला था।