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चैलेंज असेप्ट कर सच होता है हर लडक़ी का सपना: गायत्री पटेल नेशनल मोटर बाईक राईडर

जब कोई बाइक हमसे ओवरटेक करता है तो हमें पता नहीं होता कि राईडर जैंट्स हैं या गल्र्ज। तो फिर क्यों इसको जेंडर में बांट दिया जाता है। इसी चैलेंज का एसेप्ट करते हुए महाराष्ट्र के कोल्हापुर की एक लडक़ी ने बाइक राइडर बनने का फैंसला लिया। लेकिन, इसके लिए परिवार को मनाना जरा मुश्किल था। ऐसे में एक लडक़ी को अकेले बाइक पर महीनों के लिए चले जाना किसी चैलेंज से कम नहीं था।
काफी जद्दोजहद के बाद उस लडक़ी को अपने सपने जीने की आजादी मिली। उस दिन से लेकर अब तक 65,000 किलोमीटर बाइक चला चुकी है …………नेशनल लेवल मोटर बाइक राइडर और सोलो राइडर गायत्री पटेल (Gaytri Patel) ।

 

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गायत्री ने बताया कि जब भी इस सफर पर निकलती हूं, तो लोगों को संदेश देती जाती हूं कि देखो, अगर आप अपनी बेटियों को अपने सपने पूरे करने की आजादी दोगे तो हर जगहों पर परिवार और देश का परचम लहराएगी। गायत्री कल चंडीगढ़ में अपनी राइड – वन ड्रीम, वन राइड के लिए यहां मौजूद थी। (Gaytri Patel Reached Chandigarh)

राइड को लेकर गायत्री बोलीं – जब भी बाइक स्टार्ट करती हूं, हर स्टेट से कोई ना कोई राइडर साथ जुड़ जाता है और वही मुझे मेरे सफऱ के लिए इंसपायर करता है और हम अगली स्टेट या यूनियन टेरिटरी के बॉर्डर तक साथ राइड करते हैं। मैंने राइड की शुरुआत दिसंबर 5, 2020 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर से की थी। अभी चंडीगढ़ से निकलकर उत्तराखंड पहुंची हूं। वन ड्रीम, वन राइड में 28 स्टेट्स, 8 यूनियन टेरिटरी और 18 वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स को कवर करूंगी। अभी मैं इस सफर के 5,000 किलोमीटर पूरे कर चुकी हूं। अभी तक गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ पूरा किया है।

 

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गायत्री पेशे से एक इंटीरियर डिजाइनर है और 2016 में सबसे पहले अपने कजिन से बाइक चलानी सीखी। 2017 में अपने सफऱ पर भी निकल चुकी थी। अभी तक कई अवॉर्ड्स जीत चुकी हूं। नेशनल लेवल पर मोटर स्पोर्ट्स प्लेयर है, जिसमें तीसरा स्थान हासिल किया है। अंडमान में राइडिंग पूरी करने के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में रिकॉर्ड बनाने का मौका मिला था

चैलेंज से हर सफऱ बनता है मजेदार

गायत्री ने चैलेंज की बात पर कहा कि जब-जब सफर पर निकली हूं, ऐसे-ऐसे रास्तों से गुजरी हूं, जहां बाइक स्लिप होती ही है। ऐसे में कई बार कम और ज्यादा चोट लगती है बकायदा सर्जरी भी करवानी पड़ी, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। जिस सपने के लिए इतनी शिद्दत की, उसको बीच में छोडऩा बेवकूफी है। मगर इस चैलेंज को मैं अच्छे से पूरा करती हूं। चैलेंज से गुजरकर ही मज़ा आता है। अब तक मैंने सोलो राइड में भूटान, कन्याकुमारी, लेह और लद्दाख तक जा चुकी हूं।