भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जिसने अपने लोगों के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सिन नाम की दो वैक्सीन का प्रॉडक्शन है। जबकि तीसरी वैक्सीन के रूप में रूस की स्पूतनिक वी भी मिल रही है। देश में लोगों को जो भी वैक्सीन उपलब्ध हो रही है, वे जल्दी से जल्दी उसे लगवा लेने में ही भलाई समझ रहे हैं।
लेकिन, विदेशों की यात्राएं करने वाले लोग अपनी पसंद की वैक्सीन ही लगवाना चााहते हैं, हालांकि इसकी खास वजह है। ये वो लोग हैं, जिन्हें आने वाले कुछ समय में विदेश स्टडी या किसी अन्य वजह से जाना चाहते है। वे चाहते हैं कि वे सिर्फ कोविशील्ड की ही डोज लें, क्योंकि कोविशील्ड ही वो वैक्सीन है जिसे ज्यादा देशों ने आधिकारिक तौर पर मंजूरी दे दी है। जबकि कोवैक्सिन को मंजूरी देने वाले देशों की सूची अभी बेहद छोटी है।
विदेश जाने की तैयारी कर रहे लोग इस समय सोच में पड़े हुए हैं कि कई देश अब वैक्सीन पासपोर्ट पर जोर देने वाले हैं। ऐसा नहीं होने पर वह आने वाले विदेश यात्रियों को एयरपोर्ट से ही दो हफ्ते के लिए अनिवार्य क्वारंटीन के लिए होटल भेज सकते हैं। यही वजह है कि लोग कोविशील्ड ही लगवाना चाहते हैं, जिसकी ज्यादातर देशों में परमिशन मिलने की उन्हें संभावना लग रही है।
ऐसे लोगों में ज्यादातर वो स्टूडेंट हैं, जो सामान्य तौर पर अगस्त-सितंबर में निकलते हैं। उन्हें चिंता है कि अगर कोवैक्सिन लगवाकर पहुंचे और क्वारंटीन के लिए होटल भेज दिया तो काफी महंगा पड़ा सकता है। इसलिए वह कोविशील्ड का टीका लगवाने में ही भलाई समझ रहे हैं।
जिन देशों ने अभी तक कोवैक्सिन को हरी झंडी दिखा रखी है, उनमें ईरान, नेपाल, फिलीपींस, मॉरीशस, जिम्बाब्वे, पैराग्वे, गुयाना और मेक्सिको जैसे देश शामिल हैं।
डब्ल्यूएचओ की मंजूरी मिलने में लग सकता है समय
डब्ल्यूएचओ WHO की ताजा गाइडलाइन के अनुसार, भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल की लिस्ट में शामिल करने के लिए आवेदन किया है, लेकिन अभी हमें इस वैक्सीन को लेकर और जानकारी की जरुरत है। इसको लेकर हम इस महीने या जून में उनके साथ मीटिंग करेंगे।
इसके बाद भारत बायोटेक को अपना डोजियर जमा करना होगा। यदि उनका ये डोजियर स्वीकार हो जाता है तब हम उनकी वैक्सीन को लेकर अपनी जांच के बाद कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल की लिस्ट में शामिल करने को लेकर निर्णय लेंगे।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस पूरी प्रक्रिया के हर स्टेप में कुछ हफ्तों का समय लग सकता है।