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हाईकोर्ट का चंडीगढ़ प्राइवेट स्कूलों पर कढ़ा रूख, बेलेंस शीट अपलोड़ करने को कहा

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ के प्राइवेट स्कूलों को बड़ा झटका देते हुए बैलेंस-शीट वेबसाइट पर अपलोड करना जरूरी बताया गया है। हाईकोर्ट ने यह फैसला प्राइवेट स्कूलों द्वारा प्रशासन के फैसले के खिलाफ दाखिल पीटिशंस को खारिज करते हुए दिया है।


आप को बता दें कि मामले में चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा अपने फैसले को सही बताने के बाद केंद्र सरकार ने भी चंडीगढ़ प्रशासन का समर्थन किया था। केंद्र सरकार ने कहा था कि प्रशासन के पास अधिकार है कि वह किसी भी एक्ट में अमेंडमेंट और बदलाव कर उसे लागू कर सकते हैं। ऐसे में दलील दी गई थी कि पंजाब के एक्ट में बदलाव कर चंडीगढ़ में लागू कर दिया गया, बिलकुल गलत है। जब प्राइवेट स्कूल को मैनेज ही फीस से किया जाता हैं तो पेरेंट्स के पास स्कूल की बैलेंस-शीट देखने का पूरा अधिकार है।

चंडीगढ़ प्रशासन ने कहा था कि नियम के तहत प्राइवेट स्कूल 8 परसेंट से ज्यादा फीस बढ़ा नहीं सकते। साथ ही स्कूलों को कहा गया था कि वह अपने सालान खर्च और आय की बैलेंस शीट अपलोड करेंगे। दो वर्षों तक किसी भी प्राइवेट स्कूल ने इस एक्ट को चुनौती नहीं दी। अब दो वर्षों बाद प्राइवेट स्कूल इसे चुनौती दे रहे हैं जो सही नहीं है। जबकि चंडीगढ़ के 40 के करीब प्राइवेट स्कूल अपनी बैलेंस-शीट अपलोड कर चुके हैं।

अब हाईकोर्ट के क्या कहा..

एजुकेशन बिजनेस नहीं, सोसायटी के लिए अपनी सर्विस है। इसलिए स्कूलों को पहले अपने प्राथमिक दायित्व और फिर बाद में फीस के बारे में सोचना चाहिए। ज्यादा फीस तय कर स्कूल अपने प्राथमिक उद्देश्य से भटक रहे हैं। इस पर रोक लगाना जरूरी है। हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से यह भी कहा कि स्कूलों को अपनी बैलेंस-शीट अपलोड करने के लिए थोड़ा वक्त दें।

क्या था मामला..

पंजाब रेगुलेशन ऑफ फीस ऑफ अनएडेड एजुकेशनल इंस्टीट्यूट एक्ट में संशोधन कर चंडीगढ़ प्रशासन ने 24 अप्रैल 2020 को आदेश जारी किया था कि सभी प्राइवेट स्कूलों को अपनी कमाई और खर्च की डिटेल वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी।

इस आदेश के खिलाफ पीटिशन दायर करते हुए इंडिपेंडेंट स्कूल्स एसोसिएशन सहित चंडीगढ़ के 3 प्राइवेट स्कूलों ने प्रशासन के इस फैसले को खारिज करने की अपील की थी, पीटिशनर ने कहा था कि प्रशासन ने बैलेंस-शीट अपलोड न करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला लिया है । ऐसे में उन्हें डर है कि प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है जबकि उन्होंने पहले ही अकाउंट स्टेटमेंट प्रशासन के पास जमा करवा दिए है।