Home » Others » पेड़ों को बचाने के लिए एनजीओ की अनोखी पहल

पेड़ों को बचाने के लिए एनजीओ की अनोखी पहल

चंडीगढ़ में सैकड़ों साल पुराने पेड़ों को बचाने के लिए एनजीओ परिवर्तन की ओर से आज एक अभियान चलाया गया। आप को बता दें कि प्रशासन ने 31 पेड़ों को हेरिटेज का दर्जा दिया गया है।
आज एनजीओ की ओर से पंजाब यूनिवर्सिटी में लगे सबसे पुराने वट वृक्ष की पूजा अर्चना की गई और उसे रक्षा सूत्र बांधा गया।

चंडीगढ़ से महारानी लक्ष्मीबाई के शौर्य दिवस पर आज बुंदेलखंड में जंगल बचाओ अभियान को सहयोग दिया । वहीं एनजीओ परिवर्तन की फाउंडर रेणुका शर्मा ने बताया कि चंडीगढ प्रशासन के ग्रिनिंग चंडीगढ़ प्लान का खुले दिल से स्वागत करती है, लेकिन साथ साथ प्रशासन यह भी यकीनी बनाये की प्लान पर वाकई एक्शन हो । हमारी संस्था चंडीगढ़ के सभी हेरिटेज पेड़ों की देखरेख के लिए अपने वालंटियर सेवा देने को तैयार हैं ।

वहीं एनजीओ की सदस्य ने बताया कि पेड़ों का संरक्षण बहुत जरूरी है। जिस बचाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के प्रभाव के समय पता चल गया कि पेड़ों का कितना महत्व है। कोरोना काल में कई लोगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिली तो उनकी जान पर बन आई। इसलिए पेड़ों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए।

क्या है बुंदेलखंड में जंगल बचाओ अभियान का मामला ?

बुंदेलखंड के मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बकस्वाहा जंगल को हीरा खदान में बदलकर यहां दो लाख से ज्यादा हरे पेड़-पौधे काटे जाने की तैयारियों के विरोध में बुंदेलखंड के पर्यावरण प्रेमियों ने मोर्चा खोल दिया है। सेव बकस्वाहा फारेस्ट कैंपेन (बकस्वाहा जंगल बचाओ अभियान) छेड़ दिया है। अभियान की शुरुआत सोशल मीडिया से हुई है। इसमें अब तक 1.12 लाख लोग जुड़ चुके हैं। लोगों को उम्मीद है कि बकस्वाहा जंगल बचाओ अभियान छेड़ने से कुछ हद तक हरे पेड़-पौधों को काटने से रोका जा सकता है।