चंडीगढ़ निवासी अब जल्द ही बिजली विभाग के निजीकरण होने का असर देखगें। वहीं लोगों को सर्विस का इंतजार पहले से ज्यादा बढ़ेगा। जबकि स्टाफ की कमी से जूझ रहा विभाग अब ओर मुश्किल में घिरने वाला है। चंडीगढ़ बिजली विभाग के 436 कर्मचारियों की पहली जुलाई से परमानेंट छुट्टी होने वाली है। यह कर्मी सर्विस से बाहर हो जाएंगे।
यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह और महासचिव गोपाल दत्त जोशी ने बताया कि आउटसोर्स स्टाफ जैसे ड्राइवर, एलडीसी, सहायक लाइनमैन और लाइनमैन का टेंडर बढ़ाया नहीं गया है। नया टेंडर नहीं लगने से आउटसोर्स कर्मचारियों की सर्विस समाप्त हो जाएगी।
ज्वाइंट सेेके्रटरी अमरीक सिंह ने बताया कि विभाग में पिछले 2-3 वर्षों से इन्हें नहीं भरा जा रहा। यहां तक कि अब प्रमोशन भी बंद कर दी है। जिस कारण नियमित कर्मचारी घटकर केवल 625 रह गए हैं। चार साल पहले संशोधित पदों पर 250 सहायक लाइनमैन, 30 लाइनमैन, 50 क्लर्क बकायदा टेस्ट लेकर रखे थे। उसी तरह 41 ड्राइवर रखे थे। लेकिन अब जानबूझकर इस गर्मी में समूचा सिस्टम खत्म कर जनता को परेशानी में डाला जा रहा है। वहीं एक अन्य कर्मचारी ने बताया कि जनता में विभाग की छवि खराब करने की साजिश है। निजीकरण करने में आसानी हो सके। 24 जून को बिजली दफ्तर सेक्टर-19 में प्रदर्शन का आह्वान किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार एक साजिश के तहत विभाग को बदनाम कर खत्म करना चाहते हैं। बिजली कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।
नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर जल्द मंजूरी ना दी गई तो 1 जुलाई को काम छोड़ कर प्रदर्शन किया जाएगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों की होगी।