पीजीआई चंडीगढ़ पूरे देश के चुनिंदा हायर सेंटरों में से एक है, जहां जम्मू कश्मीर से लेकर देश भर के पेशेंट ट्रीटमेंट के लिए आते हैं। मगर इस सबके बावजूद पीजीआई चंडीगढ़ में मिस मैनेजमेंट का बोलबाला हैं, जिनको ठीक किए जाने की जरूरत है।
यहां ट्रीटमेंट के लिए आए राजिंदर कुमार, आशा रानी, दीपक कुमार और अन्य लोगो ने पंचकूला समाचार की टीम से यहां की अमैनिटीज़ की बात की तो इनका कहना था कि यहां पर सबसे पहले व्हीकल पार्किंग के लिए जुझना पड़ता है, दूसरा मरीज़ को न्यू ओपीडी में अंदर जाने से पहले गेट से दूसरी ओर जाकर पर्ची बनवाकर लानी पड़ती है, इसके लिए मरीज को लेकर धूप में ही खड़े रहकर पर्ची बनवानी पड़ती है, गेट के बाहर मरीजों के लिए बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है।
इसके अलावा राजिंदर कुमार ने बताया कि दो महीने पहले वह अपने रिश्तेदारों के हालचाल पूछने गया तो नेहरू बिल्डिंग के वार्डों में कई जगह बुरी हालत बेड के गद्दे पड़े मिले जिसमें से जूट बाहर लटक रहा था और उन पर चींटियां घूम रही थी। मरीज उन्हीं गद्दों पर लेटने को मजबूर हैं। इसके अलावा इमरजेंसी में जैंट्स के लिए छोटा सा टॉयलेट बना हुआ है जिसमें हर समय लाइन लगी रहती है। टॉयलेट का फर्श हर समय गीला रहता है। वर्किंग ऑवर में सुबह से रात तक करीब पांच सौ से ज्यादा लोग इस टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं जिन्हें मुंह पर कपड़ा रखकर टॉयलेट करना पड़ता है।
चौंकाने वाली बात यह है कि टॉयलेट के बाहर कोई सफाई कर्मचारी नहीं होता। कुमार का कहना है कि टॉयलेट के बाहर कर्मचारी की परमानेंट ड्यूटी होनी चाहिए जो बीच-बीच में टॉयलेट में पोंछा आदि लगाकर टॉयलेट को साफ सुथरा रखे जिससे यहां आने वाले मरीजों व उनके तीमारदारों को कोई परेशानी न हो। इसके अतिरिक्त वार्डों में जो कूलर लगे हुए हैं वो आउटडेटिड हो चुके हैं।
उनकी समय पर सर्विस न कराए जाने की भी शिकायत यहां आने वाले मरीजों के तीमारदारों ने ‘पंचकूला समाचार’ के संवाददाता से की है।
पीजीआई में अपने मरीज को लेकर आने वाले तीमारदारों का कहना है कि यहां लोग स्वस्थ होने के लिए आते हैं न कि बीमारी साथ ले जाने के लिए इसलिए पीजीआई प्रशासन को मरीजों को होने वाली असुविधाओं को ध्यान में रखते हुए इन सभी चीजों को दुरुस्त कराना चाहिए।