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बैंकों के निजीकरण के विरोध में चंडीगढ़ के बैंक अधिकारियों ने किया रोष

देश में बैंक अधिकारियों का शीर्ष संगठन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) की ट्राई सिटी स्टेट यूनिट ने संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर बैंकों के निजीकरण के खिलाफ जनमत जुटाने के लिए आज यहाँ एक जबरदस्त रोष प्रदर्शन किया । यह प्रदर्शन एआईबीओसी के “बैंक बचाओ, देश बचाओ” अभियान का हिस्सा ही जो की 30 नवंबर, 2021 को नई दिल्ली में समाप्त होगी। संसद के मानसून सत्र में सामान्य बीमा अधिनियम में पहले ही संशोधन किया जा चुका है, यह व्यापक रूप से प्रत्याशित है कि सरकार बैंक के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और 1980 और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 में संशोधन पेश करेगी। इस रोष परदर्शन मे लगभग 200 विभिन सरकारी बैंकों के अधिकारियों ने भाग लिया ।

इस रोष प्रदर्शन को एसबीआई अधिकारी संघ के प्रधान श्री संजय शर्मा द्वारा संबोधित किया गया । उन्होंने कहा की भारत में व्यक्तिगत बैंक जमा मार्च 2021 में लगभग रु 87.6 लाख करोड़ है इसमें सेरु 60.7 लाख करोड़, यानी लगभग 70% सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में जमा थे। इस से जाहिर है कि भारतीय जमाकर्ता सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। बैंक के निजीकरण से बैंकों के पीछे की सॉवरेन गारंटी खत्म हो जाएगी और जमा राशियां कम सुरक्षित हो जाएंगी। उन्होंने ने बताया कि एफआरडीआई विधेयक, जिसे 2017 में केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया था, लेकिन बाद में सार्वजनिक प्रतिक्रिया के कारण वापस ले लिया गया था, इसका उद्देश्य भी पीएसबी के पीछे की सॉवरेन गारंटी को हटाना ही था। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंक के कुल ऋण का 60% से अधिक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र छोटे और सीमांत किसान, गैर-कॉर्पोरेट व्यक्तिगत किसान, सूक्ष्म उद्यम, स्वयं सहायता समूह और एससी, एसटी और अल्पसंख्यक जैसे कमजोर वर्ग को प्रदान किया जाता है। निजी और विदेशी बैंक पीएसबी और आरआरबी से प्राथमिकता क्षेत्र के उधार प्रमाण पत्र खरीदकर शुद्ध बैंक ऋण में अपने 40% प्राथमिकता वाले क्षेत्र के ऋण लक्ष्य में कमी को पूरा कर रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण से प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

एआईबीओसी ट्राई सीटी के सचिव टी एस सग्गू ने कहा कि निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा अब तक 43.8 करोड़ पीएम जन धन योजना खातों में से 3% से भी कम खाते खोले गए हैं। सभी सरकार बैंकों की कुल शाखाओं में से 31% ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जबकि ग्रामीण बैंक शाखाओं में निजी क्षेत्र की शाखाओं का लगभग 20% हिस्सा है। इसका कारण यह है कि निजी क्षेत्र के बैंक संपन्न वर्गों को अधिक सेवाएं प्रदान करते हैं और लाभप्रदता पर अपने संकीर्ण ध्यान के कारण अपने संसाधनों को महानगरीय क्षेत्रों में केंद्रित करते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण से वित्तीय समावेशन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
ट्राई सिटी यूनिट के प्रेसिडेंट अशोक गोयल ने कहा कि पीएसबी द्वारा किए गए नुकसान में मुख्य रूप से बड़े कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं का योगदान है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा बड़े कर्जदारों को दिए गए सभी अग्रिमों में से 13% से अधिक एनपीए में बदल गए हैं। इसके अलावा, हाल के वर्षों में बैंक धोखाधड़ी के मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है, जिसमें रु. 2017-18 और 2020-21 के बीच 4 लाख करोड़ रुपये के धोखाधड़ी के मामलों का पता चला। केंद्र सरकार विजया माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, जतिन मेहता, आदि जैसे बड़े-टिकट ऋण धोखाधड़ी के अपराधियों को पकड़ने में विफल रही है।
उन्होंने कहा की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का अर्थ होगा बैंकों को निजी कंपनियों को बेचना, जिनमें से कई ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से ऋण लेने के बाद चुकता नहीं किया है । निजी क्षेत्र के बैंकों में बढ़ते एनपीए और धोखाधड़ी से पता चलता है कि ये बैंक किस प्रकार काम कर रहे हें । सरकार द्वारा एनपीए समस्या का कोई समाधान देना तो दूर, पीएसबी के निजीकरण से सांठगांठ वाले पूंजीवाद को ही पुरस्कृत किया जा रहा है ।
उपस्थित बैंक अधिकारियों के नेताओं ने भारत के लोगों से अपील की कि वे हमारे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को बेचने की सरकार की प्रतिगामी नीति के खिलाफ उठें, जो हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। हम सार्वजनिक क्षेत्रके लाखों छोटे जमाकर्ताओं, किसानों, लघु उधयोगों, स्वयं सहायता समूहों और समाज के कमजोर वर्गों के ऋण लेने वालों से बैंक के निजीकरण के खिलाफ उठने की अपील करते हैं, जो उनके हितों को नुकसान पहुंचाएगा। हम सभी नागरिक समाज संगठनों, किसानों और श्रमिक संघों, राजनीतिक दलों और हमारे लोकतंत्र के अन्य हितधारकों से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की रक्षा में हमारे आंदोलन में शामिल होने और समर्थन करने की अपील करते हैं। हम सब मिलकर निजीकरण की नीतियों को हरा देंगे।
उपस्थित लोगों में हरमीत सिंह , हरविंदर सिंह , सतीश राणा,सचिन आदि मौजूद रहे ।