पीजीआई में हुई सातवीं सफल हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी। दरसल , करनाल के एक युवक का सड़क हादसे में ब्रेन डेड हो गया था । हॉस्पिटल ने परिवार को अंगदान का निवेदन किया जिसके बाद परिवार ने अंग दान के लिए सहमति दी । सहमति मिलने के बाद योगेश (डोनर ) को चंडीगढ़ पीजीआई में पहुंचाया गया । पीजीआई में योगेश का दिल , किडनियां लिवर और पैंक्रियास से 4 मरीजों की जिंदगी में परिवर्तन आया है । इसके अलावा कॉर्निया से भी 2 मरीजों की आंखे ठीक हुई है । योगेश की मां का कहना है की बच्चा जाते जाते और लोगों की ज़िन्दगी में रौशनी दे गया ।
हार्ट ट्रांसप्लांटेशन आसान नहीं
पीजीआई के डायरेक्टर प्रोफेसर सुरजीत सिंह का कहना है कि हालांकि मौत के बाद अंगदानों में तेजी आई है, मगर हार्ट ट्रांसप्लांटेशन आसान नहीं होता । इसमें काफी जटिलताएं आती हैं । योगेश का हार्ट निकाल अन्य मरीज को लगाने वाले डॉक्टरों के मुताबिक, हार्ट ट्रांसप्लांट का काम काफी तकनीकी होता है । डिपार्टमेंट ऑफ सीटीवीएस के प्रोफेसर हरकंत सिंह बरया के अनुसार, इस सर्जरी कई चुनौतियां रहती हैं। उनके मुताबिक अंग प्राप्त करने वाले का चयन काफी मुश्किल होता है। मौजूदा केस में डोनर का हार्ट काफी अच्छी स्थिति में था। उनके साथ इस ट्रांसप्लांट में प्रोफेसर श्याम केएस थिंगनम थे।
सड़क हादसे में हुआ ब्रेन डेड
सड़क हादसा होने के बाद करनाल के हॉस्पिटल में योगेश को ले जाया गया । हॉस्पिटल में सिर पर ज्यादा चोटें लगने के कारण उसका ठीक होंगे नामुमकिन पाया गया । जिसके बाद हॉस्पिटल ने उसके परिवार वालों से अंग दान के लिए सहमति लेने के बाद उसे पीजीआई भेज दिया । पीजीआई की ब्रेन डेथ सर्टिफिकेशन कमेटी ने 19 मार्च को योगेश को मृत घोषित कर दिया । होली से दो दिन पहले योगेश के साथ यह दुर्घटना हुई थी ।