निजीकरण की पालिसी का विरोध करने के लिए हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया है । प्रदेश में रोडवेज कर्मचारियों की 12 यूनियन हैं, परंतु दो यूनियन इस हड़ताल में भाग नहीं ले रही हैं । इसके पीछे मुख्य कारण 22 नवंबर 2021 को हुई बैठक में एससी इम्प्लॉइज संघर्ष समिति और रोडवेज डीजी के बीच तीखी गहमागहमी है ।
स्ट्राइक को लेकर दो फाड़ हुए कर्मी
एससी इम्प्लॉइज यूनियन के कर्मी बाकि यूनियन के कर्मियों से अलग हो गयी है , जिसके चलते यह लोग 28 और 29 मार्च की हड़ताल का हिस्सा नहीं बनेंगे । एससी यूनियन के कर्मचारी पहले की तरह हड़ताल वाले दिन भी बसें चलाएंगे । इस दौरान दोनों गुटों के बीच भरी टकराव देखने को मिल सकता है ।
रोडवेज कर्मचारी यूनियन के राज्य प्रधान नेता जयवीर घणघस का कहना है कि सांझा मोर्चा में 10 यूनियन शामिल हैं । 27 मार्च को रात 12 बजे के बाद कर्मचारी डिपो गेट पर तालाबंदी करके बैठ जाएंगे। दो यूनियन यदि उनके संघर्ष में शामिल नहीं है तो इससे कोई फर्क नहीं होगा ।
हड़ताल के दौरान यूनियन की मांग
निजीकरण की अलग-अलग पॉलिसी लागू का विरोध, अंतर्राज्यीय रूटों पर 20 प्रतिशत, अंतर जिला रूटों पर 50 प्रतिशत एवं लोकल रूटों पर प्राइवेट बसें चलाने की योजना, किलोमीटर स्कीम और 2016-17 पॉलिसी रद्द कर विभाग के निजीकरण पर पूर्ण रोक लगाने, विभाग में 10 हजार सरकारी बसें शामिल करने, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली, कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, सभी खाली पदों पर पक्की भर्ती करने, परिचालक व लिपिक का वेतनमान 35400 करने, 1992 से 2003 के मध्य लगे कर्मचारियों को नियुक्ति तिथि से पक्का करने, सभी कर्मचारियों को 5000 रुपए जोखिम भत्ता देने, कर्मशाला कर्मचारियों को तकनीकी स्केल देने व कम किए अवकाश पहले की तरह लागू करने, सभी कर्मचारियों को एक माह के वेतन के समान बोनस देने, कोरोना महामारी के दौरान बसें खड़ी रहने व डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से हुए नुकसान की भरपाई के लिए विभाग को 2000 करोड़ रूपए का पैकेज देने, आरक्षित श्रेणी कर्मियों का प्रमोशन में रोस्टर प्रणाली लागू कर बैकलॉग पूरा करने, पंजाब, हिमाचल व डीटीसी की तर्ज पर चालकों की प्रमोशन करने, लिपिकों व डी ग्रुप कर्मचारियों सहित सभी श्रेणियों के खाली पड़े पदों पर प्रमोशन करने की मांग है।