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Parle-G बिस्कुट की सफलता की कहानी

मुम्बई के गांव के नाम, कैसे बना दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्रांड

Parle-G  बिस्कुट जो लगभग हर भारतीय की पसंद है। आज भी भारत में ऐसे कई परिवार है, जिनके लिए पार्ले जी बिस्कुट उतना ही जरूरी है, जितना की रोज सुबह की चाय। यानि बहुत से घरों में आज भी सुबह की चाय को पार्ले जी बिस्कुट के बिना अधूरा ही माना जाता है। इसीलिए तो इसे दुनिया का सबसे सर्वश्रेष्ठ बिस्कुट ब्रैंड के नाम से नवाजा गया है। पार्ले जी बिस्कुट ना सिर्फ भारत बल्की पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्कुट है। भारत के साथ-साथ अमेरिका व पश्चिमी यूरोप मे भी पार्ले जी बिस्कुट की काफी बड़ी मात्रा में बिक्री की जाती है।

कैसे हुई पार्ले जी कंपनी की शुरूआत

“Parle-G ” नाम को उपनगरीय रेल स्टेशन विले पार्ले से लिया गया है जो स्वयं पार्ले नामक पुराने गांव पर आधारित है। पार्ले के पार्ले जी के अलावा क्रेक-ज्रेक, मेनीको ओर पार्ले मेजीक भी बाजार में उपल्बध है।

सन 1929 में जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था उसी समय मुंबई के विले पार्ले में पारले नाम की एक छोटी सी कंपनी का निर्माण हुआ था जहां मुख्यता चॉकलेट का उत्पादन किया जाता था फिर करीब दस सालों के बाद 1939 में  पारले ने बिस्कीट का निर्माण  करना शुरु कर दिया जिसके सस्ते दाम ओर अच्छी क्वालिटी की  वजह से यह कंपनी जल्दी ही  प्रसिद्ध होने लगी। उस समय पारले बिस्कीट का नाम पारले ग्लूको था ।

अगले कुछ सालों बाद 1947 में भारत भी आजाद हो गया और एक जबरजस्त  कैंपेन चलाई गई जिसमे पारले जी ने बताया कि भारत का यह बिस्किट अंग्रेजों के बिस्किट का मिलता जुलता रूप है । इस केंपेन ने भारत के लोगों के दिमाग पर अलग ही छाप छोड़ी क्योकि उस समय  देशभक्ति सभी की रगों मे दोड़ रही थी और पारले जी  बहुत ही जल्द सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट बन गया।

1980 तक इस बिस्किट को ‘पारले ग्लूको’ कहकर बुलाया गया लेकिन बाद मे इसका नाम बदलकर पारले ‘जी’ कर दिया। पारले ग्लूको मे G का मतलब ‘ग्लूकोज’ था मगर पारले जी मे ‘G’ का मतलब ‘जीनियस’ हो गया।

2003 में पारले जी बिस्किट दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट था और आज भी पारले जी भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट है। 2014 में पारले जी को भारत का 42वा  ट्रस्टेड ब्रांड घोषित किया गया। इसके अलावा पारले जी 1 साल में लगभग 100 करोड़ से भी ज्यादा बिस्किट का उत्पादन करती है।

Parle-G  पर दिखने वाली बच्ची बनी आकषर्ण का केंद्र

पहले इसके कवर पर गाएं और ग्वालन बनी होता थीं लेकिन बाद के दशक में उस ग्वालन को एक प्यारी सी बच्ची ने रिप्लेस कर दिया। ये कंपनी की प्रमोशनल स्ट्रेटजी थी। पार्ले जी के रेपर पर बनी ये छोटी सी बच्ची है कौन ये भी काफी लम्बे समय तक लोगों की चर्चा का विषय रहा। अक्सर तीन महिलाओं के नाम को इस रेपर पर दिखने वाली बच्ची के जोड़ा जाता था। यानि इन तीनों को रेपर में दिखने वाली ये बच्ची बताया जाता था।

वहीं पार्ले कंपनी के प्रोडक्ट मैनेजर मयंक जैन का कहना है कि ये तस्वीर एक आर्टिस्ट द्वारा तैयार की गई एक कल्पनात्मक इलस्ट्रेशन है। जिसे 60 के दशक में मगनलाल दहिया नाम के आर्टिस्ट ने बनाया था।