पर्व का महत्व : प्राचीनकाल से बसंत पंचमी को ज्ञान और कला की देवी माँ सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, इसलिए इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे ज्ञानवान, विद्यावान होने की कामना की जाती है। साथ ही इस दिन मां देवी सरस्वती की आराधना की जाती है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष के पांचवे दिन मनाया जाता है।
यह पावन पर्व मां सरस्वती की आराधना के लिए समर्पित है। ज्ञान की देवी मां सरस्वती की आराधना वसंत पंचमी के अवसर पर पूरे देश में बड़ी ही आस्था और विश्वास के साथ किया जाता है। माता सरस्वती को बुद्धि और विद्या की देवी माना जाता है।
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यह पर्व हिंदू धर्म में बेहद उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। ये पर्व भारत के आलावा बांग्लादेश और नेपाल में भी बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग पीले रंग का वस्त्र धारण कर सरस्वती मां की पूजा करते हैं। इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। इस ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पांचवे दिन भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है, जिससे यह बसंत पंचमी का पर्व कहलाता है। इस बार बसंत पंचमी का पर्व 30 जनवरी को मनाया जा रहा है।
कैसे करें मां सरस्वती की पूजा?
- इस दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें।
- पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें।
- मां सरस्वती को पीला वस्त्र बिछाकर उस पर स्थापित करें और रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि प्रसाद के रूप में उनके पास रखें।
- मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले तथा सफ़ेद पुष्प दाएं हाथ से अर्पण करें।
- केसर मिश्रित खीर अर्पित करना सर्वोत्तम होगा।
- मां सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप हल्दी की माला से करना सर्वोत्तम होगा।
- काले, नीले कपड़ों का प्रयोग पूजन में भूलकर भी ना करें.शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजा करके उसको ठीक किया जा सकता है।
बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त:
पंचमी तिथि 29 जनवरी को सुबह 10.46 बजे लग चुकी है लेकिन सूर्योदय का समय न होने की वजह से बसंत पंचमी 30 जनवरी को मनाई जाएगी। पंचमी तिथि 29 जनवरी सुबह 10 बजकर 46 मिनट से लेकर 30 जनवरी को दोपहर 1 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। इसलिए 30 जनवरी को सूर्योदय के बाद बसंत पंचमी की पूजा की जाएगी।