पंजाब यूनिवर्सिटी में होने वाली सभी फाइनल परीक्षाओं पर बुधवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। शहर में कोरोना संक्रमण का खतरा हर रोज बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि हर रोज कोरोना संक्रमित मरीजों के नए मामले सामने आ रहे है। शहर में कोरोना महामारी के कारण अभी तक कोई भी स्कूल, कॉलेज व इंस्टीट्यूट को खोलने पर पूरी तरह से रोक है।
लेकिन इसके बावजूद पंजाब यूनिवर्सिटी हर हाल में फाइनल इयर के छात्रों की परीक्षा लेने पर अड़ी हुई थी, वहीं कई छात्र संगठन व संस्थाए एकजुट होकर परीक्षा पर रोक लगाने व बिना परीक्षा लिए प्रमोट करने की मांग कर रहे है। ऐसे में यह मामला इतना बढ़ गया कि हाईकोर्ट पर पहुंच गया।
जस्टिस ऋतु बाहरी ने सुनवाई करते हुए पंजाब यूनिवर्सिटी द्वारा अंतिम वर्ष के छात्रों की फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा लेने की नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद फैसला लेते हुए फाइनल ईयर की परीक्षा पर रोक लगा दी। साथ ही छात्रों को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं ऐसे में जुलाई में फिलहाल परीक्षाएं न कराएं।
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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने PU, यूजीसी व केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जतिन मेहता व अन्य की ओर से एडवोकेट हर लव सिंह ने याचिका दाखिल करते हुए कहा कि परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों के कोरोना की चपेट में आने का खतरा बना हुआ है।
सोशल डिस्टेंसिंग व अन्य उपायों के माध्यम से इस वायरस से बचने की सरकार अपील कर रही है। इस बीच पंजाब यूनिवर्सिटी ने फाइनल इयर के छात्रों की अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा लेने का निर्णय लिया है। इस प्रकार परीक्षा के आयोजन से वायरस फैलने की आशंका और अधिक बढ़ जाएगी।
PU के छात्रों की तरफ से दाखिल याचिका में 26 मई 2020 के फैसले और 19 जून 2020 की नोटिफिकेशन को खारिज करने की मांग की गई, इसमें सभी फाइनल ईयर स्टूडेंट्स को अपने फाइनल सेमेस्टर परीक्षा में अपीयर होने के निर्देश दिए गए थे। याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा अनुपम बनाम दिल्ली यूनिवर्सिटी केस का हवाला दिया गया।
याचिका में बताया गया है कि उस केस में हाई कोर्ट ने कहा था कि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन और केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश एक मत है कि यूनिवर्सिटी अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा लेने के लिए बाध्य नहीं है।