पंचकूला। करीब 40 साल पहले 6 जनवरी 1978 को तत्कालीन महामहिम हरचरण सिंह बराड़, राज्यपाल हरियाणा ने सेक्टर 7 पंचकूला के सामुदायिक केंद्र का उद्घाटन किया था। उस वक्त से लेकर आज तक केंद्र में कोई बड़ी रेनोवेशन नहीं हुई। आज यह स्तिथि हो चुकी है कि सामुदायिक केंद्र जगह-जगह से टूट पड़ा है और इसकी छत पर बड़े स्तर पर वृक्ष उगने लग गए है जिससे इसकी छतें खोखली हो चुकी हैं।
हर और गंदगी के ढेर लगे हुए हैं।इसके दोनों गेट भी टूट कर अलग हो गए हैं। फर्नीचर तो बिल्कुल खत्म ही हो चुका है। जगह-जगह दीवारों में दरारें आने लगी हैं तथा कई जगह से दीवार के कोनों की ईंटें भी निकल गई हैं। इसके बड़े हाल की छत से सीलिंग क्षतिग्रस्त हो चुकी है और धीरे-धीरे सीमेंट की पपडिय़ों के टुकड़े नीचे फर्श पर गिर रहे हैं। कबूतरों ने दरारों में अपने घौसले बनाए हुए हैं। इसकी बजह से अंदर हाल में पक्षियों की बिठों से सारे फर्श खराब भी हो चुके हैं तथा फर्श पर बिठें जम चुकी हैं जिसके कारण बदबू मारती रहती है।
इसके अलावा कई पंखे भी खराब पड़े हैं और ट्यूब लाइट्स भी नही चलती तथा कई जगह से ट्यूब लाइट गायब भी हैं। इसके पहली मंजिल पर बना मीटिंग हाल की दयनीय हालत हो चुकी है। कमरों की खिड़कियों को दीमक खा गई है या फिर टूट चुकी है। दरवाज़ों के लॉक भी कई जगह से टूट चुके हैं। कमरों की खिड़कियों के बाहर ऊपर कई जगह बड़ी घास उग चुकी है।
सेंटर का टूटा हुआ सामान जगह-जगह बिखरा पड़ा है। बाथरूम्स की हालात ज्यादा ठीक नहीं है। इसके अंदर की सडक़ भी हर और से टूट चुकी है। बाहर खाली जगह में सारा फर्श टूट चुका है। और तो और बाहर खाली जगह में प्रशासन ने रेहडिय़ां भी डंप कर दी है। इसके अलावा बाहर दीवार के साथ रखे कूड़े के ड्रमों में कूड़ा इदर उधर बिखरा पड़ा होने से गंदगी और बदबू से सेंटर का वातावरण खराब रहता है। सेंटर के मेन गेट टूटे होने से मवेशी भी अंदर आकर मलमूत्र कर जाते है।
रात के समय सेंटर में कुछ असामाजिक तत्व भी बैठे रहते है। जिससे रात के समय लोग वहां से निकलना भी पसंद नही करते। कुल मिलाकर कम्युनिटी सेंटर खंडहर बन चुका है और कभी भी कही से गिर सकता है और कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है क्योंकि इस सेंटर को ज्यादातर विवाह शादियों के लिए बुकिंग भी की जाती है। इसके अतिरिक्त अक्सर सेंटर में हाल के अंदर बेडमिंटन और कई तरह की खेल स्पर्धा भी होती रहती है जिससे बच्चों के साथ कोई बड़ा हादसा होने का अंदेशा बना रहता है।
कागजों में सिमिट कर रह गयी सेंटर की आधुनिक सुविधाएं
शुरू शुरू में इस सेंटर में आधुनिक सुविधाएं दी गई थी और एक बड़ी लाइब्रेरी भी बनाई हुई थी जो कि अब कागजों में सिमिट कर रह गयी है। यहां पर सीनियर सिटीजन बैठ कर अखबार व पुस्तकों का अध्यन करते रहते थे। इसके अलावा प्रशासन की ज्यादातर मीटिंग इस सामुदायिक सेंटर में ही होती थी। अब तो यह हालत हो गई है कि इस पॉश सेक्टर के सेंटर की हालत अत्यंत दयनीय हो चुकी है। इसको देखकर रोना आता है कि कभी यह सेंटर भी गुलज़ार हुआ करता था।
रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान तरसेम गर्ग का कहना है कि यहां के पूर्व पार्षद ने भी आज तक इस सेंटर की हालत पर कोई संज्ञान नही लिया। गर्ग ने बताया कि हम कई अफसरों को भी इस सेंटर की माली हालत से अवगत करा चुके हैं मगर इस सेंटर पर किसी को तरस नहीं आया। उधर महाराजा अग्रसैन ट्रस्ट के चेयरमैन बालकृष्ण बंसल ने भी सेंटर की दुर्दशा पर चिंता जताई है। बंसल और गर्ग का कहना है कि इस सेंटर को ढहाकर बेसमेंट के साथ दोबारा से आधुनिक तरीके से नया बनाया जाए और बच्चों को बेसमेंट में इंडोर गेम्स की सुविधा भी दी जाए ताकि सेक्टरवासी छोटा-मोटा फंक्शन भी कर सकें।
गर्ग का कहना है कि सेंटर के नवीनीकरण से प्रशासन का रैवेन्यू तो बढेगा ही, पाश सेक्टर की शोभा भी बढ़ेगी। सेक्टरवासियों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनकी बाजिब मांग को जल्द से जल्द सिरे चढ़ाए और इस कॅम्युनिटी सेंटर का आधुनिक सुविधाओं के साथ नवीनीकरण कराए।