पंचकूला। शहर में कोई जगह ऐसी नहीं बची है जहां पिछले दो साल में चार गुना एनक्रोचमेंट ना बढ़ी हो। एनक्रोचमेंट बड़े लेवल पर पहुंच चुकी है जिसमें सेक्टर-7, 9, 11, 15, 19, 20 में सबसे ज्यादा लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इतना ही नहीं इस तरह का एनक्रोचमेंट करने वाले कोठियों को भी नहीं बख्श रहे। ये लोग कोई भी कोठी या प्लॉट खाली देखकर उसके आगे अपना अड्डा जमाना शुरू कर देते हैं। देखते ही देखते ये लोग प्लॉट में अपना सामान भी रखना शुरू कर देते हैं। कुछ ही अरसे में ये लोग यहां इस कदर अपने पैर जमा लेते हैं कि ये प्रशासन के लिए भी सिरदर्द बन जाते हैं जिन्हें उठाना मुश्किल हो जाता है।
इस बाबत अगर वहां के स्थानीय लोग प्रशासन से इनसे निजात दिलाने की बात कहते हैं तो प्रशासन कार्यवाही के नाम पर मात्र दिखावा ही करता है। जब अतिक्रमण का ज्यादा हो हल्ला होता है तो प्रशासन थोड़ी बहुत रेहडिय़ां हटाकर अपनी वाहवाही लूटती है और कुछ ही देर बाद ये रेहडियां फिर वहीं अपने स्थान पर जमा दी जाती हैं। शहर के सेक्टरों में रेहडिय़ां इस कदर बढ़ चुकी हैं कि लोगों को अपने व्हीकल खड़ा करने तक की जगह नहीं मिल रही है। इसका आलम यह है कि शाम के समय बुजुर्गों व बच्चों का पैदल चलना दूभर हो चला है ।
शहर की मार्केटों में ट्रैफिक पुलिस तो पूरी तरह नदारद है मगर सेक्टर की पुलिस का भी इन रेहडिय़ों को हटाने में कोई रोल नहीं है। जबकि इतनी एनक्रोचमेंट शहर में बढ़ चुकी है जो अफसर से लेकर पुलिस तक सबको दिखाई दे रही है। आए दिन मार्केटों में इस इनक्रोचमेंट की वजह से झगड़े हो रहे हैं तथा गाली गलौज होती है। प्रशासन इतना सब कुछ देखते हुए भी दिखावा मात्र ही कार्यवाही करता है? क्या प्रशासन के अफसर इन चीजों से अनजान हैं या फिर देखते हुए भी कार्रवाई नहीं करते हैं।
इसी कड़ी में शहर में एक नया कांसेप्ट चल पड़ा है जो कि पूरी-की पूरी दुकान फूड ट्रक के रूप में बदल चुकी है। ये लोग शाम ढलते ही मार्केट में अपनी पूरी की पूरी दुकान सजाकर मार्केट के सामने लाइन बनाकर खड़े हो जाते हैं तथा 11 बजे तक सब्जी से लेकर मीट की दुकानों तक सजती हैं जिन पर लोग मीट खरीदकर शराब का सेवन करते भी देखे गए हैं और हर रोज शराब के चक्कर में मार्केट में लड़ाई-झगड़ा आम बात हो चला है। रात क समय औरतों का मार्केट सेक निकलना दूभर हो गया है क्योंकि इन असामाजिक तत्वों द्वारा लेडीज़्ा पर अश्लील फब्तियां कसी जाती हैं।
मार्केटों में खुले आम चलती-फिरती मीट की दुकानें व उन पर शराब का सेवन करने से वहां से गुजरने वाले युवाओं पर इसका गलत असर पड़ रहा है। अगर प्रशासन ने इन पर शीघ्र ही कोई ठोस कार्यवाही नहीं की तो आने वाले सालों में बहुत माफिया खड़ा हो सकता है। सेक्टर-7 पंचकूला के संजीव कुमार, बीडी गर्ग, सोमनाथ, पवन गर्ग, सेक्टर-9 के नरेश कुमार, अनूप कुमार, सेक्टर-11 की संगीता भाटिया, हंसराज, सेक्टर-15 के योगेश कुमार, सुनील वशिष्ठ, सेक्टर-19 के कृष्ण गोयल, अंकुर गुलाटी, सेक्टर-20 में विजय कुमार का कहना है कि प्रशासन इस पर जल्द संज्ञान ले और उन्होंने मांग की कि प्रशासन औपचारिकता न कर ठोस कार्यवाही करे।
इन जगहों पर हुई ज्यादा एनक्रोचमेंट:-
सेक्टर-7 में कोठी नं. 776 से डीसी मॉडल स्कूल के आखिरी छोर तक एनक्रोचमेंट हो चुकी है।
सेक्टर-8 में टेलीफोन बूथ के पास सिर्फ एक ही व्यक्ति ने चाय से लेकर रोटी तक का होटल खुले में बनाया हुआ है।
सेक्टर-9 में मार्केट के सामने कोठियों के आगे रेहड़ी वालों ने इस कदर एनक्रोचमेंट की हुई है कि लोग अपने वाहन भी खड़ा नहीं कर सकते।
सेक्टर-11 मार्केट में कोठियों के सामने काफी बड़े स्तर पर एनक्रोचमेंट की गई है जिससे वहां के रेज़ीडेंट्स को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सेक्टर-15 में कोठियों और पार्किंग के आगे एनक्रोचमेंट की हद हो चली है इससे भी यहां के रहने वाले बेहद परेशान हैं।
सेक्टर-20 में मार्केट के सामने फूड ट्रकों ने शोरूम जैसी दुकानें खोल रखी हैं। इसका प्रभाव बूथ व शोरूम वालों पर पड़ रहा है। इससे अतिक्रमण तो बढ़ ही रहा है साथ बूथ मार्केट वालों का धंधा भी चौपट हो चला है।
एनक्रोचमेंट की वजह से शहर के सेक्टरों व मार्केटों में गदंगी का आलम बना हुआ है। अतिक्रमणकारी सारा दिन अपनी कमाई कर जगह-जगह गंदगी का अंबार खड़ा कर जाते हैं जिसका खामियाजा बाद में वहां के मार्केट वालों या सेक्टर के लोगों को भुगतना पड़ता है।
इनकी आड़ में कुछ असामाजिक तत्व चोरी व अन्य आपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर अपना काम आसानी से कर जाते हैं जिसके चलते शहर वासी अपने को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।
1. इन अतिक्रणमकारियों की वजह से सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह चरमरा गई है। ये लोग जगह-जगह गंदगी फैलाकर चले जाते हैं।
2. कुछ दुकानदारों का कहना है कि इनकी वजह से उनका धंधा चौपट हो गया है क्योंकि ये लोग इतनी तादाद में एनक्रोचमेंट कर चुके हैं कि ये उनकी दुकानों के सामने ही ट्रक आदि में अपनी दुकान सजा कर बैठ जाते हैं। न तो इन्हें कोई भारी-भरकम किराया देना पड़ता है, न ही इन पर कोई टैक्स आदि लगता है और कमाई ये उनसे 10 गुना कर लेते हैं।
3. इन अतिक्रमणकारियों के ठीयों पर इनके चार या पांच लोग खड़े रहते हैं जो ना तो अपने सामने किसी को वाहन खड़ा करने देते हैं। अगर गलती से वहां अपना वाहन खड़ा कर दिया तो झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं।
कुल मिलाकर शहर का वातावरण इन लोगों ने पूरी तरह से खराब करके रख दिया है। नगर सुधार सभा पंचकूला के चेयरमैन तरसेम गर्ग से इस संबंध में बातचीत की गई तो उनका कहना था कि शहर में आए दिन नई रेहड़ी लगने से आम जनता को आए दिन एक नई परेशानी का सामना करना पड़ता है। हमने भी कई बार नगर सुधार सभा की मीटिंगों में इस इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है मगर प्रशासन द्वारा इस मामले को गंभीरता से लिए जाने के कारण शहर का वातारण बिगड़ता जा रहा है। चाहे फिर वह सफाई व्यवस्था हो, मार्केट वालों की परेशानी हो या सुरक्षा व्यवस्था।आखिर प्रशासन इस पर क्यों ठोस कार्यवाही नहीं करता। प्रशासन की कोताही का खामियाजा शहर की जनता क्यों भुगते।