ट्राइसिटी के बड़े उद्योगपति 76 वर्षीय गुरकृपाल सिंह चावला ने पंचकूला के सेक्टर-1 स्थित रेड बिशप होटल के कमरे में फंदा लगाकर जान दे दी। घटना की सूचना मिलते ही परिजन मौके पर पहुंच गए और उनको फंदे से उतारकर सेक्टर-6 स्थित सामान्य अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद अस्पताल से सूचना पर सेक्टर-5 थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। पुलिस ने होटल के कमरे को सील कर दिया है।
सेक्टर-5 थाना पुलिस ने मृतक गुरकृपाल सिंह चावला के बेटे हरमीत सिंह चावला की शिकायत पर हिंदुस्तान पेट्रोलियम के तीन अधिकारियों समेत छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
9 पेज का सुसाइड नोट बरामद, HPCL के तीन अधिकारियों समेत 6 पर केस दर्ज
उद्योगपति गुरकृपाल सिंह ने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए HPCL के तीन अधिकारियों शलभ राज गुप्ता, राजीव बंसल, निखिल सूद के अलावा विजय कुमार कामरा और उसके भाई राकेश कुमार और भतीजे ईशान कामरा को जिम्मेदार ठहराया है।
76 वर्षीय द्योगपति गुरकृपाल सिंह चावला ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि आरोपियों ने धोखाधड़ी एवं साजिश रचकर मेरी संपत्ति लूटने की कोशिश की। पत्नी जगजीत कौर चावला के नाम पर दून चंडीगढ़-खरड़ रोड पर जो पेट्रोल पंप था, उसे आरोपियों ने पंजाब पुलिस एवं शलभ राज गुप्ता के साथ मिलकर जबरदस्ती डीलरशिप स्थानांतरित करवा ली।
उन्होंनेे इस संबंध HPCL के सीएमडी से शिकायत भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। क्योंकि यह लोग उन्हें बर्बाद करने पर उतारू थे। HPCL के जोनल मैनेजर एमएस यादव ने शलभ राज गुप्ता को बचाने के लिए मुख्यालय के अधिकारियों को प्रभावित किया, ताकि कोई साक्ष्य न रहे।
सुसाइड नोट में पेट्रोल माफिया पर साधा निशाना
सुसाइड नोट में उद्योगपति गुरकृपाल सिंह चावला ने लिखा है कि वह नार्थ इंडिया में सबसे ज्यादा पेट्रोल बेचते थे जो पेट्रोल माफिया को बर्दाश्त नहीं था। उन्होंने सेक्टर-9 में एक घर को खरीदने के लिए समझौता किया, लेकिन उन्होंने उनसे धोखा किया क्योंकि उन्हें 2005-06 से बेचने की अनुमति नहीं थी। उनकी छोटी बेटी की शादी मुंबई में हुई थी। उन्होंने उसके ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दी थी। उन्होंने पंजाब पुलिस के साथ हाथ मिला लिया और उनके साथ चंडीगढ़ पुलिस भी मिल गई। मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए। समझौते के लिए रिश्वत मांगी गई। उन्होंने लिखा कि वह एक साधारण बिजनेसमैन थे। चावला ने सीधे तौर पर पेट्रोलियम माफिया को टारगेट किया है, जिसके कारण उन्हें घाटा उठाना पड़ा।