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आयुष मंत्रालय की स्वीकृति से डॉ. बिस्वरूप एवं गुरु मनीष ने एकीकृत चिकित्सा विज्ञान अस्पताल की घोषणा

कोविड-19 के इलाज के विकल्पों के मोर्चे पर एक अच्छी खबर है, और वह भी बिना दवाइयों के। पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरोपैथी (एनआईएन), आयुष मंत्रालय ने नाइस (एन.आई.सी.ई.) प्रोटोकॉल के उपयोग की सिफारिश की है – जो कि हल्के से गंभीर कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए एक आहार आधारित इलाज है। नाइस प्रोटोकॉल के जनक डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी एवं प्रसिद्ध आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ गुरु मनीष ने इसकी घोषणा की। डॉ. बिस्वरूप एवं गुरु मनीष ने चंडीगढ़ के निकट भारत के प्रथम एकीकृत चिकित्सा विज्ञान अस्पताल- राजीव दीक्षित मैमोरियल हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेज (एचआईआईएमएस) की स्थापना की है।

यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि जून 2020 में डॉ. बिस्वरूप ने नाइस (नेटवर्क ऑफ इंफ्लुएंजा केयर एक्सपर्ट्स) की स्थापना की। नाइस के तहत डॉ. बिस्वरूप ने लिंकन व श्रीधर विश्वविद्यालयों के माध्यम से 3000 से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है।

डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने कहा, ‘नाइस के तहत शून्य मृत्यु दर, शून्य साइड इफेक्ट और शून्य दवा के साथ 60,000 से अधिक कोविड-19 रोगियों को ठीक किया जा चुका है। नाइस प्रोटोकॉल के आधार पर, अहमदनगर, जयपुर और भोपाल स्थित हमारे केंद्रों सहित राष्ट्रीय स्तर पर संचालित कई कोविड-19 केंद्रों में कोविड-19 रोगियों का इलाज किया गया। नाइस के साथ पंजीकृत रोगियों में से लगभग 20 से 35 प्रतिशत रोगियों को गंभीर रोगियों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिनमें से कई में ऑक्सीजन सेचुरेशन (एसपीओ 2) 70 प्रतिशत से कम और एचआरसीटी स्कोर 15 से अधिक था, लेकिन किसी भी मरीज को बाहरी ऑक्सीजन नहीं दी गयी। ‘

इस बीच, गुरु मनीष ने कोविड मामलों की चिकित्सा हेतु आयुष मंत्रालय द्वारा अनुमोदित नाइस प्रोटोकॉल के लिए डॉ. बिस्वरूप को बधाई दी।

गुरु मनीष ने कहा, ‘यह भारत की जांची-परखी प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद विज्ञान की एक बड़ी जीत है। लेकिन सिर्फ आयुर्वेद ही नहीं, हम अब एचआईआईएमएस के तहत विभिन्न चिकित्सा विज्ञानों की अच्छाई और उपचार क्षमता को एकसाथ ला रहे हैं। इसके पीछे विचार यह है कि मानव शरीर की किसी भी बीमारी का इलाज विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों की सर्वोत्तम विधियों से प्रभावी ढंग से किया जा सके। अस्पताल में आयुर्वेद, एलोपैथी, मधुमेह नियंत्रण, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा व होम्योपैथी आदि की सुविधा रहेंगी। इनका प्रबंधन उन विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा जो अपने चुने हुए क्षेत्रों में शीर्ष पर हैं। एचआईआईएमएस चिकित्सा विज्ञान में क्रांतिकारी अनुसंधान भी करेगा। ‘

गुरु मनीष ने आगे कहा, ‘एचआईआईएमएस में नाइस प्रोटोकॉल के अनुरूप उपचार होंगे, जो कि कैंसर, मधुमेह व हृदय रोगों सहित 60 से अधिक प्रमुख बीमारियों के लिए डिजाइन किये गये हैं। ‘

बताया गया कि एनआईएन, आयुष मंत्रालय द्वारा अनुशंसित नाइस प्रोटोकॉल ने साबित कर दिया है कि हल्के से गंभीर मरीज सात दिनों में ठीक हो सकते हैं। दूसरे, नाइस प्रोटोकॉल में कोई दवा शामिल नहीं है और केवल नारियल पानी तथा खट्टे फलों का रस उपचार में प्रयोग होता है। इसके अलावा सांस लेने में कठिनाई वाले गंभीर रोगियों के लिए प्रोन वेंटिलेशन विधि उपयोग में लायी जाती है। नाइस प्रोटोकॉल पर रोगियों में मृत्यु दर, प्रतिकूल घटना या कोई भी दुष्प्रभाव नहीं देखा गया।