पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब के लिव-इन रिलेशनशिप के एक मामले पर बड़ी टिप्पणी की है। कहा कि समय की मांग रूढ़िवादी समाज के सिद्धांतों के दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता है। कहा कि हर किसी को जीवन जीने का अधिकार है। इस मामले में पहले से विवाहित महिला अपनी मर्जी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रही थी । कोर्ट ने कहा कि भारत में प्रत्येक व्यक्ति को भारतीय संविधान और राज्य के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का मौलिक अधिकार है व राज्य जीवन की रक्षा करने के लिए कर्तव्यबद्ध है।
सुरक्षा के लिए महिला ने दी कोर्ट में याचिका
कोर्ट ने कहा कि समय के साथ बदलाव जरूरी है हम उन देशों से भी पीछे छूट गए थे जो पुराने लोकाचार और रूढ़िवादी सामाजिक परिवेश के साथ फंस गए थे। वर्तमान समय विकसित समाज को कानून व उसकी शिक्षाओं से परिप्रेक्ष्य को बदलने का है। महिला ने अपने पति सहित अपने रिश्तेदारों से जान का खतरा बताकर सुरक्षा की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि महिला याचिकाकर्ता एक विवाहित महिला है और स्वेच्छा से वह पुरुष याचिकाकर्ता के साथ रिलेशनशिप में है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर उनकी जान को खतरा होने की आशंका के आरोप सही निकले तो इससे अपूरणीय क्षति हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट इन दोनों के संबधों पर या विवाह की वैधता पर कोई निर्णय नहीं दे रहा है, बल्कि उनके जीवन की रक्षा करने के अपने मौलिक कर्तव्य का पालन कर रहा है।