ट्रैन में सवार एक व्यक्ति की तबियत खराब होने से उसकी मृत्यु हो गयी । यह घटना गोल्डन टेंपल एक्सप्रेस में सवार एक व्यक्ति के साथ घटित हुई है । दरसल बोरीवली स्टेशन से तीन व्यक्ति लुधियाना आ रहे थे । रास्ते में रणधीर सिंह की तबीयत अचानक खराब हो गई। उसकी हालत बिगड़ते देख उन्होंने पहले ट्रेन के टीटी को ढूंढने की कोशिश की और फिर रेलवे हेल्पलाइन नंबर 139 पर सूचित किया।
डॉक्टर ने रणधीर सिंह को मृतक करार कर दिया
मेरठ स्टेशन आते ही रेलवे की मेडिकल टीम ट्रेन में पहुंच गई। रेलवे डॉक्टर ने रणधीर सिंह चेकअप कर उसे मृत करार दिया। मृतक की पहचान रणधीर सिंह निवासी धूड़कोट मोगा के रूप में हुई।उन्होंने मेरठ स्टेशन पर अनुरोध किया कि इसी तरह से शव को लुधियाना तक ले जाने की अनुमति दी जाए , जहां से वह शव को मोगा ले जाएंगे। इसके बाद उन्हें यात्री डिब्बे में ही शव ले जाने की अनुमति दे दी गई। लुधियाना स्टेशन पर ट्रेन से शव उतरते देखकर डिप्टी एसएस अजय साहनी ने जीआरपी को सूचित किया। सूचना पाकर जीआरपी के डीएसपी बलराम राणा और एसएचओ जसकरण सिंह अपनी पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
रेलवे विभाग के नियम
रेलवे नियमों के मुताबिक, ट्रेन में किसी यात्री की मौत होने पर शव को नजदीकी स्टेशन पर उतारना होता है। शव को कब्जे में लेने की जिम्मेदारी नजदीकी जीआरपी थाने की है। पहले शव का पोस्टमार्टम करवाया जाता है फिर उसे परिजनों के हवाले किया जाता है। इसके बाद शव को एंबुलेंस की मदद से गंतव्य तक पहुंचाया जाता है। इस मामले में मेरठ स्टेशन पर न तो किसी ने शव को कब्जे में लिया और न ही उसका पोस्टमार्टम करवाया। कानूनी कार्रवाई के झंझट से बचने के लिए शव को ट्रेन में ही छोड़ दिया गया। यह शव बिना ताबूत और बिना किसी कोविड प्रोटोकॉल के ट्रेन की सीट पर ही लुधियाना पहुंच गया। यह गंभीर लापरवाही है।
इस तरह से शव को ट्रेन में रखकर ले जाने की अनुमति किसने दी, इसकी जांच की जाएगी। जीआरपी मेरठ से भी जवाब मांगा जाएगा। शव को पोस्टमार्टम के बाद ही वारिसों के हवाले किया जाएगा। जसकरन सिंह, एसएचओ, जीआरपी, लुधियाना।