चंडीगढ़: शहर के दो बड़े बस स्टैंड जहां से रोजाना लाखों लोग सफर करते है, जल्द ही कैशलेस होने जा रहे हैं। आईएसबीटी सेक्टर-43 व 17 को प्रशासन की ओर से कैशलेस करने की कवायद तेज कर दी गयी है। आईएसबीटी-43 व 17 पर लॉन्ग रूट की बसों में सफर करने वाले यात्रियों के लिए टिकट काउंटर पर स्वाइप मशीन, ई वालेट, यूपीआई व पीओएस मशीनें ई पेमेंट के लिए इंस्टाल की जा रही हैं। इससे रोजाना सफर करने वाले यात्रियों को डिजिटल भुगतान के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
सीटीयू की लॉन्ग रूट बसों में सफर करने वाले यात्रियों को सेक्टर-43 व 17 आईएसबीटी बस स्टैंड पर टिकट काउंटर पर टिकट आदि के भुगतान के लिए डिजिटल पेमेंट की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके लिए सीटीयू ने वर्ल्ड बैंक के समक्ष एक प्रस्ताव भी तैयार कर मंजूरी के लिए भेज दिया है। सीटीयू को पूरी तरह कैशलेस बनाए जाने को लेकर वर्ल्ड बैंक से आर्थिक मदद ली जा सकेगी।
शॉप के किराए कैश नहीं लिए जाएंगे
नोटबंदी के बाद अब पूरा चंडीगढ़ प्रशासन कैशलेस की तरफ बढ़ रहा है। ज्यादातर डिपार्टमेंट्स में कैश लेना बंद किया जा रहा है और स्वाइप मशीनों से पेमेंट शुरू हो चुकी है। कई डिपार्टमेंट्स में मशीनें लग चुकी हैं। अब चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग(सीटीयू) ने भी कैशलेस की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। सीटीयू के वरिष्ठ अधिकारियों ने विशेष दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं कि आईएसबीटी सेक्टर-43 में किसी भी शॉप के किराए कैश नहीं लिए जाएंगे। सीटीयू ने बस स्टैंड की दुकानों के किराए कैश लेने की बजाय आरटीजीएस के जरिए लेना शुरू कर दिया है। सीटीयू के निदेशक अमित तलवार ने बताया कि सीटीयू को हर महीने 80 से 90 लाख रुपए का रेवेन्यू बस स्टैंड की दुकानों के किराए से मिलता है।