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महंगाई पर 60 दिन, नोटबंदी पर 50 दिन, जनता फिर लाइन में : तरसेम गर्ग

कर्मचारी हो या व्यापारी, गरीब हो या अमीर हर कोई सुबह ही कर लेता है बैंकों व एटीएम की लाइन में लगने की तैयारी

24 घंटे की सेवा देने का दावा करने वाले एटीएम दम तोड़ रहे हैं। जबकि बैंक भी घंटों में ही खाली हो जाते हैं। अपना ही कमाया हुआ पैसा लेने के लिए हर वर्ग परेशान है।

एटीएम हो या बैंकों का परिसर हर जगह पर पैसा निकालने के लिए लोगों की लाइनें लगी हुई है। ऐसे में लोगों को अपना काम-धंधा छोड कर बैंकों की एटीएम के बाहर लाइनों में लगना पड रहा है। लोग अब बैंकों के एटीएम की लाइनों में लगने की बजाय यह सोच कर चेक से पेमेंट लेने के लिए जा रहे हैं कि वहां उन्होंंने 24 हजार रुपए तक की पेमेंट मिल जाएगी लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। जो लोग अपने चेकों पर 20 या 24 हजार रुपये की राशि लिख कर चेक कैश कराने बैंक जा रहे हैं उन्हें अपना एक चेक बेकार कर नया चेक देना पड़ रहा है जिसमें ज्यादा से ज्यादा 6 हजार रुपए तक मिल पा रहा है।

पैसा लेने के लिए लोग कतारें लगाए बैंकों या एटीएम के सामने खडे दिखाई दे रहे हैं। इन लोगों का मानना है कि इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा कि अपना पैसा लेने के लिए सारा-सारा दिन लाइनों में लगना पड़ रहा है। इतना ही नहीं घने कोहरे और ठिठुरती ठंड में भी बच्चे, बूढ़े और महिलाएं अपना काम धंधा छोड़कर पैसा निकालने के लिए बैंकों व एटीएम की लाइनों में लगे हुए हैं। इसके बावजूद कुछ ही घंटों में एटीएम मशीन में पैसा खत्म होने पर उन्हें निराश लौटना पड़ता है जिससे जनता अब भाजपा सरकार कोसते हुए नहीं थक रही है।

पहले नोटबंदी और अब नकदी की समस्या के कारण व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कुछ व्यापारियों का कहना है कि नोटबंदी और नकदी की समस्या के कारण उनका व्यापार आधा रह गया है जिसके चलते उन्हें मजबूरन अपने कर्मचारियों को जवाब देना पड़ रहा है। नोटबंदी का खामियाजा हर वर्ग को भुगतना पड़ रहा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरसेम गर्ग का कहना है कि कर्मचारियों की बात करें तो वे अपनी ड्यूटियां छोडकऱ एटीएम व बैंकों की कतारों में खड़े होने को मजबूर हैं। गर्ग का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी का यह फैसला बिना किसी सलाह के और सोचे समझे बगैर ही लिया है क्योंकि अगर 1000 व 500 के नोट बंद करने ही थे तो कम से कम नई करंसी का पर्याप्त इंतजाम करके ही करना चाहिए था। उनका मानना है कि इस नोटबंदी से समाज का हर वर्ग परेशान है और इसका सीधा असर पंजाब व उत्तर प्रदेश में निकट भविष्य में होने वाले विधान सभा के चुनावों में साफ देखने को मिलेगा।

लोकसभा चुनाव में भाजपा ने महंगाई को आड़े हाथों लेते हुए जनता से साठ दिन मांगे थे उसके बाद नोटबंदी की समस्या सुलझाने को 50 दिन का समय मांगा, ये 50 दिन भी पूरे होने जा रहे हैं मगर जनता को अभी तक कोई राहत मिलती दिखाई नहीं पड़ रही है। अब तीसरे कैशलैश के नाम पर आम जनता व व्यापारियों पर अपना फैसला थोपा जा रहा है मगर इसकी भी कोई तैयार सरकार की नजर नहीं आ रही है। हर व्यक्ति को डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए कहा जा रहा है जबकि हकीकत यह है कि देश की 80′ जनसंख्या गांवों में निवास करती है जिन्हें डिजिटल ट्रांजेक्शन की कोई जानकारी नहीं है। जबकि सच्चाई यह है ज्यादातर लोगों को एटीएम भी चलाना नहीं आता। लोग दबी जुबान में यह भी कह रहे हैं कि सरकार डिजिटल फैसला थोपने के चक्कर में सीमित कैश दे रही है। नोटबंदी की समस्या के कारण सीनियर सिटीजन बैंकों की लाइनों से परेशान हैं वे कई-कई घंटे लाइनों में लगने की स्थिति में नहीं है और उनके सामने अपने घर चलाने के लिए भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हर रोज सरकार नोटबंदी पर नई घोषणाएं कर रही है इससे लगता है कि सरकार की अपनी कोई तैयारी नहीं थी। नोटबंदी के चलते देश में अब तक 30 दिन में 90 लोगों की मौत हो चुकी है। इस समय देश की जनता पर दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर जनता पहले से ही महंगाई से त्रस्त थी ऊपर से प्रधानमंत्री के नोटबंदी के फैसले से हर वर्ग परेशान हो गया है। अब गेहूं के दाम भी बढ़ा दिए गए हैं जिससे आम आदमी का जीना और अधिक दूभर हो चला है। दूसरी ओर किसान को अगली फसल लगाने को पर्याप्त पैसा नहीं मिल रहा है।

उधर, बेटियों की शादी के लिए सारा-सारा दिन बैंकों में धक्के खा रहे हैं फिर भी पर्याप्त पैसा नहीं मिल रहा है। जबकि शादी वाले घर में परिवार वालों के पास एक मिनट का समय भी नहीं होता। सरकार ने घोषणा की है कि शादी के लिए वे बैंक से ढाई लाख रुपया निकाल सकते हैं लेकिन क्या इस बेशुमार महंगाई में ढाई लाख रुपए में कोई शादी कर पाएगा? सरकार इस फैसले को सही मानकर अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकती जबकि सच्चाई इसके उलट है। विपक्षी पार्टियां चंडीगढ़ एमसी चुनाव में महंगाई के साथ-साथ नोटबंदी की समस्या को कैश कराने की जुगत में लगी हैं।