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निगम चुनाव पर नोटबंदी का असर

चंडीगढ़। देश में 1000 व 500 रुपए की नोटबंदी का असर चंडीगढ़ नगर निगम के चुनावों पर भी साफ देखने को मिल रहा है। 18 दिसंबर को होने वाले मतदान के लिए भले ही प्रत्याशी अपने-अपने वार्ड में डोर टू डोर जाकर वोट मांग रहे हों लेकिन चुनाव प्रचार सामग्री से फिलहाल गुरेज ही करते नजर आ रहे हैं। हालांकि भाजपा व कांग्रेस के कई प्रत्याशियों ने विभिन्न समाचार पत्रों में प्रेस नोट जारी करके अपना प्रचार आरंभ कर दिया है। नगर निगम के कुल 26 वार्डों के लिए 18 दिसंबर को होने वाले चुनाव के लिए इस समय कुल 130 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं जिनमें से कांग्रेस के 26, भाजपा के 22, शिरोमणी अकाली दल के 4, बसपा के 19 व एनसीपी का एक प्रत्याशी जबकि अनेक निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। नोटबंदी के चलते कुछेक प्रत्याशियों ने तो वट्स ऐप का सहारा लिया हुआ है और सुबह होते ही अपनी तस्वीर पोस्ट कर वोट मांगना शुरू कर देते हैं ।

निगम चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने वाले प्रत्याशियों द्वारा नामांकन भर दिए गए हैं और चुनाव आयोग ने भी नामांकन पत्रों की छंटनी का काम पूरा कर लिया है । कुछेक लोगों के नामांकन रद्द भी हुए हैं जिनमें वार्ड नंबर-15 से शिरोमणी अकाली दल से नामांकन पत्र दाखिल करने वाली पूर्व मेयर हरजिन्द्र कौर का नाम भी बडे ही नाटकीय ढंग से रद्द होने वालों में हैं। हालांकि बीबी हरजिंदर कौर ने नामांकन रद्द होने के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली है लेकिन शहर के लोगों में उनके नामांकन रद्द होने की चर्चा को अन्यथा लिया जा रहा है। हालांकि भाजपा की बलविंदर कौर जिन्होंने हरजिंदर कौर के कवरिंग प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरा था और हरजिंदर कौर का नामांकन रद्द होने के बाद उन्हें प्रत्याशी बनाया गया था, यह भी चर्चा है कि वह भाजपा छोड़ अकाली दल में शामिल हो गई हैं और अब वह अकाली प्रत्याशी कहलाएंगी क्योंकि टिकटों के बंटवारे में यह वार्ड नंबर-15 अकाली दल के हिस्से में आया था।

नोटबंदी का क्या असर पड़ेगा

अब आते हैं मुद्दे की बात पर कि इन चुनाव पर नोटबंदी का क्या असर पड़ेगा। चुनाव आयोग द्वारा नगर निगम चुनावों के लिए प्रत्याशी पर चुनावी खर्च की सीमा तय की हुई है। अगर कोई प्रत्याशी तय सीमा से ज्यादा खर्च करता है तो आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई करेगा। प्रत्याशी को हर रोज के चुनावी खर्च के लिए बाकायदा रजिस्टर लगाने होंगे जिसे चुनाव आयोग के अधिकारी कभी भी चेक कर सकते हैं। हालांकि चुनाव आयोग की इतनी सख्ती के बाद भी प्रत्याशी चुनाव प्रचार पर खर्च तो ज्यादा कर रहे हैं लेकिनकोई न कोई फंडा अपनाकर चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित चुनावी खर्च से ज्यादा का खर्च नहीं दिखाते। ऐसे में चुनाव प्रचार सामग्री के डीलर भी सक्रिय हो गए हैं, ये डीलर चुनाव आयोग की तरफ से बनाए गए नामांकन केंद्रों के बाहर ही प्रत्याशियों को अपने विजिटिंग कार्ड थमा सस्ते दाम पर प्रचार सामग्री उपलब्ध कराने का ऑफर दे रहे हैं। चुनाव प्रचार की सामग्री बेचने वाले एक डीलर से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके पास राष्ट्रीय व लोकल पार्टियों के प्रचार का सामान भी उपलब्ध रहता है। उनका कहना है कि नोटबंदी का असर भी देखने को मिल रहा है क्योंकि चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव में जितनी चुनाव प्रचार सामग्री बिकनी चाहिए थी नहीं बिक पा रही है। कुछ प्रत्याशियों के ऑर्डर आए हैं लेकिन वे भी पैसे बाद में देने की बात कर रहे हैं।

अब सोने पर सरकार की नजर कई प्रत्याशियों के होश उड़े

नोटबंदी के बाद अब सरकार ने घरों में सोना रखने की सीमा भी तय करने का ऐलान किया है । केन्द्र सरकार ने संशोधित कर कानून के तहत तय किया है कि एक विवाहित महिला 500 ग्राम , अविवाहित 250 ग्राम तथा पुरुष 100 ग्राम सोना रख सकते हैं। मजेदार बात यह है कि चंडीगढ़ में हो रहे नगर निगम के चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रहे सभी प्रत्याशियों ने अपनी चल-अचल संपत्ति के ब्यौरे के साथ नामांकन पत्र भरे हैं जिनमे उन्होंने यह भी घोषणा की है कि उनके पास कितना सोना या आभूषण है। ऐसे में सरकार के इस निर्णय के बाद प्रत्याशी असमंजस की स्थिति में पड़ गए हैं।

उधर सरकार का कहना है कि नोटबंदी का चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि सरकार यह सब जनता की भलाई के लिए ही कर रही है यह जनता की समझ में जल्द ही आ जाएगा जो थोड़ी बहुत परेशानी आ रही है तो यह कुछ ही दिनों की दिक्कत है जल्द ही सब सामान्य हो जाएगा।