चंडीगढ़ ट्रैफिक सिग्नल व चौराहों पर सामान बेचने वालों व् बिख मांगने वालो का धंधा जोरों पर चल रहा है। ये लोग तड़के सुबह नजाने कहा से टोलिया बनाकर आ जाते है और तरह-तरह की वेश भूषाये पहन कर धंदे में लग जाते है। रेड लाइट होते ही यह लोग एकदम से गाडिय़ों के सामने आ जाते हैं और गाडिय़ोंं के शीशे खटखटाने लगते हैं और सामान खरीदने की जिद करते हैं। इस कारोबार में बड़े, छोटे बच्चे, बुजुर्ग सब शामिल हैं।
हद तो तब हो जाती है जब ये लोग अपाहिज लोगों को व्हील चेयर पर बैठाकर ट्रैफिक के बीच में ले आते हैं और जोर-जोर से गाडिय़ों के शीशे पीटने लगते हैं। इससे लोगों को परेशानी तो होती ही है साथ ही एक्सीडेंट होने का भी खतरा बना रहता है। कुछ दिन पहले जीरकपुर में एक गुब्बारे बेचने वाला एक बच्चा इसी तरह हादसे का शिकार हो गया था।
शिकंजा कसने में प्रशासन नाकाम
नगर सुधार सभा पंचकूला के चेयरमैन तरसेम गर्ग का कहना है कि यह धंधा ट्रैफिक पुलिस की देख-रेख में चल रहा है, क्योंकि सबकुछ जानते हुए भी पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। गर्ग ने कहा कि सामान बेचने वाले वाहन चालक को बातों में उलझाकर मौका मिलते ही गाडिय़ों मेें रखे सामान आदि पर भी हाथ साफ कर जाते हैं। इनके खिलाफ कार्यवाही के नाम पर ट्रैफिक पुलिस कुछ नहीं करती।
हालाँकि कुछ समय पहले चंडीगढ़ पुलिस ने जरूर इन्हें हटाने की मोहीम चलायी थी और कुछ दिनों के लिए ये लोग गायब भी रहे लेकिन अब फिर से हर ट्रैफिक लाईटों पर नज़र आने लगे है।
यहां तक कि कई बार तो जब वाहन चालक इन सामान बेचने वालों या भिखारियों को डांटने का प्रयास करते हैं तो ये लोग लडऩे पर उतारू हो जाते हैं। जब वाहन चालकों की आपस में तूं-तूं , मैं-मैं हो जाती है तो ये लोग चुपके से मौके पर से खिसक जाते हैं। सरकार को इस पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।