संतुलित आहार हर आयु में लेना आवश्यक है, तभी सेहत ठीक रह सकती है। संतुलित आहार में विटामिन्स व मिनरल्स का विशेष योगदान होता है। हम थकान, कमजोरी, सुस्ती महसूस करते हैं तो हम साधारणतया यह नहीं समझ पाते कि हम विटामिन्स और मिनरल्स ले रहे हैं या नहीं। ये सब लक्षण इनकी कमी से होते हैं। विटामिन्स शरीर की चयापचय प्रक्रिया को नियमित बनाते हैं। ए.बी.सी.डी.ई. और के विटामिन्स हमें नियमित लेने चाहिएं। इनमें से विटामिन ए.डी.ई. और के. शरीर में संचित रहते हैं और आवश्यकता पडऩे पर इनका प्रयोग होता रहता हैं पर विटामिन्स बी और सी शरीर में एकत्रित नहीं होते। इनका प्रतिदिन सेवन ज़रूरी हैं। महिलाओं को हर आयु में इनकी आवश्यकता रहती है क्योंकि माहवारी, रहती है क्योंकि माहवारी, गर्भावस्था, शिशु का जन्म, मेनोपॉज जैसी प्रक्रियाओं से उन्हें गुजरना पड़ता हैं। अगर इस दौरान उन्हें पौष्टिक आहर नहीं मिलता तो शरीर में कई कमियां आनी शुरू हो जाती हैं और धीरे-धीरे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ती जाती हैं। आइए देखें विटामिन्स, कैल्शियम, फॉलिक एसिड और ओमेगा 3 फैटी एसिड उम्र के साथ कितने महत्वपूर्ण हैं।
कैल्शियम का सेवन
कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजा़ेर हो जाती हैं, हड्डियां कमजोर होने पर फै्रक्चर का खतरा बढ़ जाता है। कैल्शियम की कमी से ह्रदय मांसपेशियां और नर्वस सिस्टम भी सुचारू रूप से काम नहीं करता।
कभी-कभी ऐसा होता है कि हम जो खाद्य पदार्थ लेते हैं, उनसे कैल्शियम पूरा नहीं मिल पाता। इस उम्र में हरी सब्जिय़ां दूध, दही, छाछ, अंडे व मछली का सेवन नियमित करें। जिन खाद्य पदार्थों में कैल्शियम हो, उन्हें नियमित खाएं।
विटामिन डी का सेवन
शरीर में विटामिन डी की कमी को प्रात: की धूप अंडे की जर्दी, लीवर, फिश व दूध के नियमित सेवन से पूरी की जा सकती हैं। शरीर में कैल्शियम के अवशोशिण हेतु विटामिन डी की आवश्यकता पड़ती हैं। अगर विटामिन डी कम हो तो कैल्शियम शरीर को नहीं मिल पाता। विटामिन डी के सप्लीमेंट्स डाक्टर के परामर्श अनुसार लें।रोजाना 400 से 600 ग्राम विटामिन डी लें।
विटामिन सी का सेवन
विटामिन सी की कमी को खट्टे रसदार फलों के नियमित सेवन से पूरा किया जा सकता है। विटामिन सी की कमी होने पर शरीर में आयरल अवशोषित नहीं हो पाता। आज के युवा वर्ग में विटामिन बी 6 और विटामिन बी-12 की कमी देखी जा रही हैं। विटामिन बी 6 और 12 आप उबले अंड़े, विकन, दूध, लो फैट दही के सेवन से पूरी कर सकते हैं।
फॉलिक एसिड
गर्भवती महिलाओं और गर्भ धारण करना चाहने वाली महिलाओं को फॉलिक एसिड का सेवन ज्यादा करना चाहिए, ताकि शिशु का जन्म स्वस्थ शिशु की तरह हो। फॉलिक एसिड के मिलए बींस, पत्तेदार हरी सब्जिय़ां और संतरे नियमित लें। अगर ज़रूरत पड़े तो डाक्टर की सलाह से सप्लीमेंट भी ले सकते हैं। ओगेगा 3 फैटी एसिड हेतु रोज़ाना अखरोट का सेवन करें। 29 से 50 वर्ष की आयु में विटामिन्स औ मिनरल्स का योगदान जरूरी कैल्शियम की आवश्यकता इस उम्र में थोड़ी बढऩी शुरू हो जाती है क्योंकि बोन डेंसिटी धीरे-धीरे कम होने लगती है। इससे आस्टियोपोरोसिस का खतरा बढऩे लगता है। महिलाओं को इस आयु के दौरान मेनोपॉज भी हो जाता है और उनके लिए कैल्शियम की ज़रूरत और बढ़ जाती है। प्रतिदिन 1000 ग्राम कैल्शियम इस उम्र में लेना चाहिए।
विटामिन डी इस उम्र में ठीक तरह से शरीर में अवशोषित नहीं होता। डाक्टर की सलाह से सप्लीमेंट लें। जिन महिलाओं के पीरिड्यस चल रहे हैं, उन्हें आयरन सप्लीमेंट डाक्टर की सलाह से लेने चाहिए और अपनी प्रतिदिन की डाइट में आयरन युक्त भोज्य पदार्थ नियमित लें।