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तबादलों की भेंट चढ़ा विकास जनता परेशान

पिछले चार वर्ष से बनी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में प्रशासनिक व उच्च अधिकारियों का अत्यधिक अभाव रहा है। बल्कि जो मुख्य अधिकारीगण जैसे म्युनिसिपल कमिश्नर, एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, एसई, एक्सईएन, एसडीओ, डीटीपी, एलआर/एपीआरओ आदि भी नियुक्त नहीं किए। जो नियुक्त किए गए हैं उन्हें कोई न कोई कारण बनाकर ट्रांसफर कर दिया गया। जनता दरबार में पहुंचे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को जानकारी दी गई कि प्रमुख पदों पर 36 में से केवल तीन पदों पर ही तैनाती की गई जबकि 33 महत्वपूर्ण पद खाली पड़े हैं।

उपरोक्त जानकारी देते हुए सीनियर सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान एसके नैयर ने बताया कि इस वक्त शहर के सेक्टरों और गांवों का इतना बुरा हाल हो गया है कि लोग स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। जब थोड़ा बहुत काम होने लगता है तो अफसरों का तबादला कर दिया जाता है। लोगों की समझ में अभी तक नहीं आया कि ये तबादले हो रहे हैं या राजनीति हो रही है।

नगर निगम के पास न तो अपना ऑफिस है और न ही पर्याप्त स्टाफ। निगम में पहले ही 70 प्रतिशत पोस्ट खाली हैं। पहले से स्टाफ की कमी से जूझ रहे पंचकूला नगर निगम में अफसरों के ट्रांसफर से एमसी में हालत बद से बदतर हो चले हैं।इतना ही नहीं अधिकारियों को राजनेताओं और चुने गए पार्षदों का भारी दबाव झेलना पड़ता है। सभी नेताओं व समाजसेवियों का कहना है कि शहर के विकास, सफाई व्यवस्था एवं अन्य कमियों के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ जनता द्वारा चुने गए पार्षद भी उतने ही जिम्मेदार हैं जितने अधिकारी। नैयर का यह भी कहना है कि पंचकूला में किसी दमदार अफसर को टिकने नहीं दिया जाता। विकास के मुद्दे पर चुने गए पार्षद भी गंभीर नजर नहीं आ रहे और न ही उनका कोई ब्यान इस मसले पर आ रहा है। इससे तो नगर परिषद ही ठीक थी जिसमें शहर का विकास व जनता के काम सुचारु तरीके से हो रहे थे।

गंदगी के चलते बीमारियों का भय

कभी साफ सुथरा दिखने वाला पंचकूला आज कूड़े के ढेर में तब्दील होता जा रहा है। पूरे शहर में हर जगह गंदगी का आलम है।

सड़कों की हालत दयनीय

शहर में इस समय सड़कों का यह हाल है कि लोगों को यह ही नहीं पता चल पाता कि सड़क मेें गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क। बड़ी गाड़ी 30 की स्पीड से ऊपर नहीं चल सकती। लोगों के वाहन इन टूटी सड़कों के कारण क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। बीमार व्यक्ति अस्पताल तक सही सलामत नहीं पहुंच सकता। बरसात के दिनों में तो इनकी हालत और भी बदतर हो जाती है। सड़कें तालाब बन जाती हैं।

उधर नगर सुधार सभा पंचकूला के चेयरमैन तरसेम गर्ग का कहना है कि कुल मिलाकर शहर की जनता विकास को लेकर त्राहि-त्राहि कर रही है। प्रशासन द्वारा शहर में कोई भी विकास कार्य नहीं कराया जा रहा है। अब तो यह आलम है कि आए दिन मंत्री यहां अपनी योजनाएं लेकर आते हैं और उनका उद्घाटन करके चले जाते हैं जबकि मंत्री इन्हीं सड़कों पर से गुजरते हैं फिर भी उनका ध्यान शहर की दुदर्शा पर नहीं जाता।विकास को लेकर मंत्री व नेता आकर बड़े-बड़े दावे करके चले जाते हैं लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं हो रहा है। पंचकूला वासियों का कहना है कि कुल मिलाकर सरकार जनता को $गुमराह कर रही है। शहर की यह हालत हो चुकी है कि जनता को समझ नहीं आता आखिर वह अपना दुखड़ा किसके आगे रोए लोगों को छोटे-छोटे कामों के लिए सरकारी दफ्तरों में चक्कर काटने पड़ते हैं फिर भी काम नहीं होते। कुल मिलाकर शहर का विकास जीरो है।

कोढ़ की तरह बढ़ता अतिक्रमण

शहर के हर सेक्टर में आए दिन नई रेहड़ी और फडी सड़के किनारे व पार्किंग की जगह लगा दी जाती हैं जिससे तमाम पार्किंग पर इन अतिक्रमण कारियों का कब्जा हो चला है। अगर इन्हें हटने के लिए कहा जाता है तो ये झगड़े पर उतारू हो जाते हैं। इतना ही नहीं मकानों के आगे भी इन रेहड़ी फड़ी वालों ने कब्जा जमा लिया है। अगर इन पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाले समय में स्थिति और भी विकट हो जाएगी।

शहर में आवारा कुत्तों का आतंक

आवारा कुत्ते इतने खूंखार हो चले हैं कि रात को तो दूर की बात लोग दिन में भी घरों से निकलने में गुरेज करने लगे हैं क्योंकि आए दिन ये आवारा कुत्ते शहर में किसी न किसी को शिकार बना रहे हैं। इन कुत्तों का इस कदर खौ$फ है कि एक दिन में चार-चार केस डॉग बाइट के आ रहे हैं। जब कुत्ते काटने के मामले ज्यादा बढ़ जाते हैं तो प्रशासन कार्यवाही के नाम पर दो चार दिन सक्रिय होता है उसके बाद फिर वही हाल। डॉग्स स्टरलाइज़्ोशन के लिए सिंगल टैंडर आने के बावजूद अलॉट करने में देरी की जाती है। अब तो लोगों का यह कहना है कि अगर प्रशासन इस पर कार्यवाही करने में विफल है तो उन्हें इसका मुआवजा दिया जाना चाहिए। कुल मिलाकर लोगों में आवारा कुत्तों को लेकर रोष है।

रोड-गलियों का बुरा हाल

अब बरसात का मौसम आ चुका है लेकिन अभी तक रोड गली पर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं गया है। बरसात में जब कहीं चार से पांच फुट तक पानी खड़ा हो जाएगा तब कहीं प्रशासन की नींद खुलेगी फिर आनन-फानन में इनको रिपेयर कर दिया जाएगा जो कुछ ही दिनों में फिर टूट जाती हैं। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा।